साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों को सरकार अब कैशलेस चिकित्सा सुविधा देगी। यह सुविधा 30 नवंबर से लागू होगी। कर्मचारी और पेंशनधारी 5 लाख रुपए तक का इलाज कैशलेस सुविधा में करा सकेंगे।
हालांकि इस योजना में कर्मचारियों और पेंशनधारियों के आश्रितों को शामिल नहीं किया गया है। वह सरकार की पुरानी नीति के अनुसार इलाज के बाद अपना खर्च ले सकेंगे। इस कैशलेस सुविधा में केवल छह प्राणघातक बीमारियां हार्ट अटैक, दुर्घटनाएं, कैंसर का तीसरा चौथा चरण, कोमा, मस्तिष्क आघात तथा इलेक्ट्रोक्यूशन शामिल होंगी। यह योजना प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों सरकारी सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों, सभी जिला अस्पतालों, राज्य सरकार के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों तथा राज्य सरकार के पैनल में शामिल में सभी निजी अस्पतालों में लागू होगी। राज्य सरकार के सभी विभागों द्वारा अपने नियमित कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को पहचान पत्र भी जारी किए जाएंगे। पेंशनभोगियों को पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) ले जाना होगा। ये पहचान पत्र सभी सरकारी पैनल में शामिल निजी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा उन्हें सीमित कैशलैस चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए पहचान के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किए जाएंगे। विभागों को उनके पहचान पत्रों को आधार नम्बरों के साथ जोडऩा होगा।
खर्चा 5 लाख से ज्यादा होने पर बढ़ी राशि का खुद करना होगा भुगतान: सीमित कैशलैस उपचार के लिए 5 लाख रुपये की सीमा निर्धारित की गई है। यदि उपचार की लागत इस राशि से अधिक हो जाती है तो बढ़ी हुई राशि का भुगतान कर्मचारी या पेंशनभोगी द्वारा किया जाएगा।
60 दिन में होगा बिल का भुगतान: कैशलैस स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने के लिए अस्पतालों द्वारा दिए सभी बिलों का भुगतान या निपटान बिल प्राप्ति के 60 दिनों के भीतर होंगे। इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभागाध्यक्ष या कार्यालय प्रमुख की होगी। फर्जी बिलों के संबंध में निगरानी के लिए प्रकोष्ठ बनाए जाएंगे।
अन्य इलाज पर करना होगा 20% भुगतान: पैनल में शामिल निजी अस्पताल सरकार की निर्धारित पैकेज दरों के तहत दिए उपचार के लिए शत-प्रतिशत कैशलैस सेवाएं देंगे। यदि किसी लाभार्थी का उपचार किसी ऐसी स्थिति के लिए होता है तो निर्धारित पैकेज के तहत नहीं आी तो पीजीआई दरों के तहत पैनल में शामिल अस्पताल 80 प्रतिशत उपचार कैशलेस करेंगे अंतिम बिल की 20 प्रतिशत राशि का भुगतान लाभार्थी करेगा।