साभार: जागरण समाचार
जिस प्रदेश में सबसे छोटी सरकार यानी ग्राम पंचायत व स्थानीय निकाय के सदस्य की शैक्षणिक योग्यता सरकार ने निर्धारित कर दी है, उसी प्रदेश की बड़ी पंचायत यानी विधानसभा के सदस्य के लिए अब किसी तरह
की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं की गई है। एक गांव सरपंच चुने जाने के लिए कम से कम दसवीं पास (एससी व महिला के लिए आठवीं) होना अनिवार्य है, विधायक के लिए उस प्रदेश में कोई भी योग्यता नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश के विभिन्न हलकों का प्रतिनिधित्व करने वाले और विधानसभा में कानून बनाने वाले प्रदेश के 22 विधायक स्नातक भी नहीं हैं।
हरियाणा मानव कल्याण समिति के अध्यक्ष नंद किशोर शर्मा द्वारा विधानसभा से ली गई सूचना में इसका हुआ है। सूचना का अधिकार द्वारा ली गई सूचना में पता चला है कि वर्तमान विधानसभा में 68 विधायक तो स्नातक व इससे अधिक पढ़े-लिखे हैं, लेकिन 22 विधायक ऐसे हैं जो स्नातक तक भी नहीं पढ़े हैं। इनमें दो विधायक तो सिर्फ पांचवीं पास ही हैं और दो आठवीं पास। साथ ही आरटीआइ की सूचना में यह भी हुआ है कि अगर विधायक करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार होकर सजायाफ्ता भी हो जाता है तो उसको विधायक की पेंशन मिलती रहेगी, वहीं प्रदेश के किसी कर्मचारी को रिश्वत लेने पर सजा हो जाए तो उसका कोई सरकारी लाभ नहीं मिलेगा।