Thursday, December 21, 2017

डेरे के मनी लॉन्डिंग मामले की जांच क्यों न सीबीआइ को दे दी जाए - High Court

साभार: जागरण समाचार 
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा हैं कि क्यों न डेरे के मनी लॉन्डिंग मामले की जांच सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा को दे दी जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर केंद्र को इस बारे में जवाब देने को कहा हैं।
कोर्ट को बताया गया कि डेरा प्रमुख द्वारा बनाई गई फिल्मों में मनी लॉन्डिंग से जुटाए पैसे लगाए जाते थे। बाद में फिल्म रिलीज होने पर खुद ही टिकट खरीद कर अपने समर्थकों को फिल्म दिखाई जाती थी।
बुधवार को सुनवाई के दौरान जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई। इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित सभी एजेंसियों ने अपना जवाब दायर किया। कोर्ट ने ईडी के जवाब से असंतुष्टि जताते हुए कहा कि बेहतर होगा कि इस मामले में सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा ही जांच करे। दूसरी ओर कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए। गुप्ता ने कहा कि जांच के दौरान कोर्ट कमिश्नर को जो मिला उन्हीं दस्तावेजों को एकत्रित कर उन्होंने रिपोर्ट बना दी। जांच अधिकारी ने किसी भी किस्म की कोई टिपण्णी नहीं की है और न ही सभी पहलुओं पर गौर किया गया। इस पर हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर से इस रिपोर्ट को दोबारा मूल्यांकन और टिप्पणी के साथ अगली सुनवाई पर पेश किए जाने के लिए कहा।
डीटीपी और निकाय विभाग के सचिव से मांगा जवाब: कोर्ट को बताया गया कि डेरे में कई इमारतों के निर्माण में बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन किया गया है। इस पर कोर्ट ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग और स्थानीय निकाय विभाग के सचिव से जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट ने पूछा कि डेरे में इन इमारतों को किस आधार पर नियमों में छूट दी गई है। इनके अलावा और किन संस्थाओं को यह छूट दी गई है। अगर यह नियमों का उल्लंघन कर बनी हैं तो दोषी अधिकारीयों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। डेरे के अस्पताल में अवैध गतिविधियों को लेकर हाई कोर्ट ने सिरसा के सिविल सर्जन को आदेश दिए कि वह अगली सुनवाई पर इस बारे में जांच कर अपनी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करें।
डिजिटल सबूत से डाटा रिकवर करने के आदेश: जांच के दौरान डेरे से प्राप्त नष्ट की गई पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क व अन्य डिजिटल एविडेंस की जानकारी पर कोर्ट ने कहा कि यह डिजिटल एविडेंस डेरे के कई राज खोल सकते हैं। इनसे डाटा रिकवर करने के काम को तेजी से पूरा करने के आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लैब से अगली सुनवाई पर रिपोर्ट देने को कहा है। 
जांच का दायरा बढ़ाने में संकोच न करें: कोर्ट को बताया गया कि राम रहीम के कक्ष की खिड़की गल्र्स हॉस्टल की तरफ खुलती थी। ऐसे में किन कारणों से इस मामले में दर्ज एफआइआर से राम रहीम को दूर रखा गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और कुछ तथ्य नए भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में जांच का दायरा बढ़ाना पड़े तो संकोच न हो।
मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर पुलिस को फटकार: पंचकूला हिंसा के मुख्य अभियुक्त आदित्य इंसा को अभी तक गिरफ्तार किए जाने पर भी कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई। कहा कि आदित्य इंसा कोई शक्तिमान तो नहीं है जो पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहा है। हनीप्रत को कहां-कहां नहीं ढूंढा गया और वह भी पड़ोस में ही मिली।