साभार: भास्कर समाचार
समूचा हरियाणा ठंड की चपेट में आने लगा है। अब रात ही नहीं दिन भी ठंडे हो रहे हैं। दिन का पारा दो डिग्री तक कम होने के कारण लोगों को सोमवार को ठंडक का एहसास हुआ। यह बादल छाने से हुआ है। हालांकि रात के
तापमान में मामूली बढ़ोत्तरी हुई है। पांच छह दिसंबर को प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बादल छाए रहने और कहीं-कहीं इनके गहरा जाने के आसार हैं। इधर 10 दिसंबर को पश्चिम विक्षोभ के असर से जम्मू-कश्मीर में काफी बर्फबारी हो सकती है। हिमाचल उत्तराखंड तक भी पहुंचने की संभावना बन सकती है। इससे प्रदेश के मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड का दौर समय से करीब 20 दिन पहले शुरू हो सकता है। अमूमन यह प्रदेश में एक से 10 जनवरी के बीच होता रहा है।
दिसंबर में ठंड का रिकाॅर्ड:
हिसार - 29 दिसंबर 1973 को -1.5 डिग्री सेल्सियस।
करनाल - 31 दिसंबर 1973 को -0.4 डिग्री सेल्सियस।
करनाल - 31 दिसंबर 1973 को -0.4 डिग्री सेल्सियस।
आईएमडी के अनुसार रात का पारा बादल छाने की वजह से दो से तीन डिग्री तक बढ़ सकता है। जबकि तीन दिन बाद फिर से इसमें तीन डिग्री तक कमी हो सकती है। अल सुबह हलकी धुंध छाने के आसार भी बन सकते हैं।
सुबह रहेगी हल्की धुंध, फिर साफ होगा मौसम: आईएमडी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकांश इलाकों में अगले दो दिनों तक सुबह के कुछ घंटों में हलकी धुंध असर दिखा सकती है। इसके बाद मौसम के साफ होने के आसार बनेंगे। सोमवार को पंजाब का आदमपुर मैदानी इलाकों में देश का सबसे ठंडा इलाका आंका गया।
सुबह रहेगी हल्की धुंध, फिर साफ होगा मौसम: आईएमडी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकांश इलाकों में अगले दो दिनों तक सुबह के कुछ घंटों में हलकी धुंध असर दिखा सकती है। इसके बाद मौसम के साफ होने के आसार बनेंगे। सोमवार को पंजाब का आदमपुर मैदानी इलाकों में देश का सबसे ठंडा इलाका आंका गया।
मिलेगा लाभ: कृषिअधिकारियों का कहना है कि गेहूं की फसल को इस ठंड से काफी लाभ मिल सकता है। क्योंकि जितनी ठंड पड़ेगी, उतना ही फसल के फुटाव में फायदा होगा। यदि एक या दो बरसात हो जाती है तो इससे भी लाभ मिल सकता है। .
दिन के तापमान में दो डिग्री हुई कमी: सोमवार को बादल छाने के कारण अधिकांश जिलों में दिन का पारा दो से तीन डिग्री तक कम हो गया। अंबाला में यह 22.5 डिग्री पर गया। करनाल में 22.8 डिग्री रहा, जबकि 24 घंटे पहले यह 23.8 डिग्री रहा था। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सोमवार को पछुआ हवा की गति केवल एक किलोमीटर प्रति घंटा रही, इससे ठंड से काफी हद तक राहत मिली। यदि हवा चलती तो और भी ठंडक का सामना करना पड़ा। करीब ढाई घंटे ही सूर्य की चमक दर्ज की गई।