साभार: जागरण समाचार
जाट आरक्षण आंदोलन में आगजनी व उपद्रव की घटनाओं के बाद जिम्मेदार ठहराए गए आइजी श्रीकांत जाधव को जांच अधिकारी वरिष्ठ आइएएस टीसी गुप्ता ने क्लीन चिट दे दी है। एसपी के आइजी कार्यालय पहुंचने की
सीसीटीवी फुटेज देखने और तमाम अफसरों के बयानों के बाद आरोप गलत पाए गए। रिपोर्ट गृह सचिव को सौंप दी है। फरवरी 2016 में के दौरान प्रदेश में आगजनी और उपद्रव की घटनाएं हुई थी। जिलों में कानून व्यवस्था बरकरार रखने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर एसपी व डीसी पर थी। इसके बावजूद अफसरों को क्लीन चिट दे दी गई। राज्य सरकार ने इस प्रकरण में रोहतक रेंज के आइजी श्रीकांत जाधव को सस्पेंड कर दिया था। आरोप था कि उन्होंने झज्जर पुलिस फोर्स को रोहतक बुला लिया था। वहीं टीसी गुप्ता की जांच में पाया गया कि रोहतक में आगजनी के बाद वहां के एसपी एवं डीआइजी खुद को असुरक्षित मानते हुए आइजी कार्यालय पहुंच गए थे। ऐसे में आइजी ने झज्जर एसपी को फोर्स सहित रोहतक पहुंचने के आदेश दिए। हालांकि बाद में फोर्स को लौटा दिया गया।
इस तरह जाधव को करना पड़ा था बहाल: केंद्र सरकार ने आइपीएस अधिकारियों को निलंबित करने के बाद चार्जशीट जारी करने के नियम में बदलाव करते हुए चार्जशीट का समय 45 से घटाकर 30 दिन कर दिया था। इसका सीधा फायदा आइजी श्रीकांत जाधव को मिला था। निलंबित होने के 30 दिन के भीतर राज्य सरकार द्वारा चार्जशीट जारी नहीं किए जाने के कारण उनको बहाल करना पड़ा था।