साभार: भास्कर समाचार
आबकारी एवं कराधान इंस्पेक्टर के पेपर लीक के केस में पकड़े गए महम के कॉलेज संचालक सतीश राठी के कॉलेज की प्रिंसिपल सुशीला को भी पुलिस ने सहआरोपी बनाया है। सुशीला अपनी बेटी चित्राक्षी का पेपर दिलाने
यमुनानगर आई थी। पुलिस के मुताबिक उसने अांसर-की का सौदा पांच लाख रुपए में किया था। एक लाख 20 हजार रुपए एडवांस में दे दिए गए थे। पुलिस को अब उसकी तलाश है। सीआईए पुलिस ने अपनी डिसक्लोजर रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि हमारी अभी तक की जांच में ये सामने आया है कि यहां पर आरोपी अांसर की परीक्षा केंद्र के अंदर भेजने में कामयाब नहीं हो पाए थे। फिर भी जांच की जा रही है। एसआईटी इंचार्ज डीएसपी रणधीर सिंह का कहना है कि सुशीला कॉलेज प्रिंसिपल है। उसे भी मामले में सहअपराधी बनाया गया है। जिस का भी नाम डिस्कलोजर में सामने आएगा। उसको आरोपी बनाया जाएगा। महिला पुलिस कर्मी को बनाया पीड़ित: यमुनानगर में पेपर लीक और नकल की साजिश के दो मामले पिछले दिनों आए। पुलिस ने कंडक्टर के पेपर को लीक कराने की साजिश में रोहतक निवासी कपिल और धर्मेंद्र को काबू किया था। दोनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की। यह मामला यमुनानगर पुलिस ने झज्जर एसपी की रिपोर्ट पर दर्ज किया था। उनकी रिपोर्ट में पुलिस कर्मी प्रीति का नाम भी था। वह अपने देवर मनीष के पेपर में हेल्प कराना चाहती थी। पुलिस के अनुसार इसको लेकर पुलिस कर्मचारी प्रीति ने कपिल और धर्मेंद्र को पैसे भी दिए थे। यमुनानगर पुलिस ने इस मामले में प्रीति को पीड़िता बना दिया था। इसलिए पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि पुलिस ने इंस्पेक्टर पेपर केस में बेटी का पेपर दिलाने आई सुशीला को आरोपी बनाया और कंडक्टर का देवर का पेपर दिलाने आई पुलिस कर्मी को पीड़ित बना दिया। बता दें पुलिस को इस बात पर कोर्ट में फटकार भी लग चुकी है।
ऐसा हुआ था पूरा घटनाक्रम: 30 जुलाई को एचएसएससी की ओर से आबकारी एवं कराधान विभाग के इंस्पेक्टर की परीक्षा कराई गई। जगाधरी के हिंदू गर्ल्स कॉलेज में महम निवासी सुशीला की बेटी चित्राक्षी का पेपर था। पुलिस को इसकी भनक लग गई। पेपर खत्म होने के बाद पुलिस ने पीछा कर चांदपुर के पास एक गाड़ी को काबू किया। इसमें सुशीला, उसकी बेटी चित्राक्षी और महम निवासी सतीश राठी थे। सतीश राठी भागने में कामयाब हो गया था। पूछताछ में सुशीला और उसकी बेटी ने कई खुलासे किए, लेकिन पुलिस ने मामला दबाए रखा और तब रफ ड्राइविंग का केस दर्ज कर उन्हें छोड़ दिया। इस दौरान पता चला कि सतीश राठी महक में अपना प्राइवेट कॉलेज चलाता है और वहां पर सुशीला प्रिंसिपल है। इसके बाद 14 सितंबर को ठीक ने सतीश राठी को काबू किया।