Sunday, November 12, 2017

हालात चिंताजनक: स्मॉग की वजह से घटे 60 फीसदी पक्षी

साभार: भास्कर समाचार
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का असर परिंदों की संख्या पर पड़ रहा है। राजधानी में इनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। बर्ड एक्सपर्ट्स ने भास्कर को बताया कि बीते
एक साल में माइग्रेटरी बर्ड्स समेत दिल्ली में जो पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती थीं और जितने पाॅइंट्स पर बर्ड सेंचुरी में ये दिखती थी, उसमें कमी गई है। असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के पक्षी विशेषज्ञ सुहेल मदान ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में दिल्ली में जिस तरह से प्रदूषण का स्तर आठ से दस गुना ज्यादा हो गया है, उससे शहर में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों में 60 फीसदी तक कमी आई है। वे बताते हैं कि पहले असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में ही 100 पाॅइंट्स पर 250 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती थीं। लेकिन अब पिछले 10 दिनों में इन पाॅइंट्स की संख्या घटकर 40-50 ही रह गई है। हम लगातार इस तरह का सर्वे कर रहे हैं कि परिंदे बर्ड सेंचुरी में किधर-किधर पाए जाते हैं। वे बताते हैं कि पिछले एक साल में दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण गोरैया, हंस, चील, किंगफिशर समेत पक्षियों की कई प्रजातियां कम हो गई हैं। 
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डॉ. वीपी उनयाल ने बताया कि प्रदूषण के कारण साल में दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक लाख से ज्यादा पक्षियों की मौत हो जाती है। पिछले दो हफ्ते से जिस तरीके से बेहद खतरनाक स्तर पर दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है, इससे अनुमान के मुताबिक करीब 10 हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत हो गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रोजेक्ट सफर के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. गुफरान बेग इस बारे में कहते हैं कि प्रदूषण का सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं और परिंदों को है। क्योंकि वह ज्यादातर बाहर खुले में ही रहते हैं। इससे उनकी आंखों पर भी असर पड़ता है। 

3 गुना ज्यादा बीमार: पीपुल्सफॉर एनीमल्स की ट्रस्टी गौरी मुलेखी ने बताया कि दिल्ली में फैले प्रदूषण का असर पक्षियों और जानवरों पर पड़ रहा है। पक्षी तेजी से बीमार पड़ रहे हैं। संजय गांधी एनीमल केयर सेंटर, जैन बर्ड हॉस्पिटल जैसे शेल्टर होम्स में बीमार पक्षियों की संख्या में जून-जुलाई की तुलना में तीन गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी प्रकार पालतू पशु जैसे डॉग्स तेजी से बीमार पड़ रहे हैं। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। पालतू जानवर घर के अंदर भी तकलीफ में हैं। 
खाना मिलना बंद हो गया है: पक्षियों के पौष्टिक आहार कहे जाने वाले कैटरपिलर, कीड़े-मकोड़ों की तादाद भी कम होती जा रही है। प्रदूषण के कारण दिल्ली में तितलियां भी उड़ना बंद हो गई हैं। इनकी संख्या लगातार दिल्ली से कम होती जा रही है। ऐसे में ये परिंदे दिल्ली से दूर पहाड़ी इलाकों का रुख कर रहे हैं। जो जानवर माइग्रेट होकर कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं उन्हें भोजन की काफी परेशानी हो रही है। इन्हें अपनी नैचुरल डाइट के अलावा दूसरी चीजों पर निर्भर होना पड़ रहा है। 
गिर रही है लाइफ एक्सपेक्टेंसी: इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन की डिप्टी डायरेक्टर राधा गोयल ने बताया कि जिस तरह से दिल्ली में इंसानी शरीर पर असर पड़ते हुए उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी रेट लगातार गिर रही है। ठीक उसी तरह यह परिंदों में और भी कम हो रही है। कार्बन मोनोऑक्साइड, पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे प्रदूषित कण दिल्ली में परिंदों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी को दो गुनी रफ्तार से कम कर रहे हैं। यह बेहद खतरनाक है। 
चार गुना बढ़ जाती है मृत्यु दर: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि छोटे पक्षियों के फेफड़े इंसानों के फेफड़ों से काफी छोटे होते हैं। वह इंसानों की तुलना में एक सेकेंड में चार गुना तेजी से धड़कते हैं। इस तरह के खतरनाक प्रदूषण की स्थिति में इन पक्षियों में कैंसर और कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। पक्षियों का डेथ रेट प्रदूषण के संपर्क में आने से चार गुना तक बढ़ जाता है। क्योंकि परिंदे 24 घंटे प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं।