Tuesday, December 19, 2017

Management: कड़ी मेहनत और जि़द हो तो गरीबी बाधा नहीं बनती

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
साभार: भास्कर समाचार
उस उम्र में जब उसे स्कूल में होना चाहिए था, वह परिवार की मदद के लिए चाय बेच रहा था। चाय के हर कप की बिक्री के साथ उसके बचपन का हश्र बिना शिक्षा के होता दिखता। पांचवीं तक पढ़ने के बाद उसे पढ़ाई छोड़नी
पड़ी थी। हर सुबह हाथ में चाय के कप लेकर किशोर उम्र का भूपिंदर सिंह अमृतसर के निकट के अपने गांव फत्तुभिला में हर निर्माण स्थल के चक्कर काटता ताकि उसे ग्राहक मिल सकें। भूपिंदर की ही तरह सलमान सैयद भी मुंबई के हाजी अली सिंग्नल पर हरी बत्ती होने का इंतजार कर रहे कार में बैठे लोगों में अपनी किताबों के ग्राहक खोजता था। उसकी मां कचरा बीनने का काम करतीं जबकि पिता छोटे-मोटे काम करते। फुटपाथ पर जन्मे सैयद को परिवार के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार में माता-पिता के अलावा बहन उसके तीन बच्चे, पति और दादी थी। 
पंजाब में भूपिंदर की किस्मत तब बदली जब फत्तुभिला के सत्य भारती आदर्श सीनियर सेकंडरी स्कूल के शिक्षकों का एक समूह उससे मिलने आया। उन्हें पता चला कि वह पांचवीं तक पढ़ा है। उन्होंने वादा किया कि वे मुफ्त में यूूनिफॉर्म, किताबें और दोपहर का भोजन मुहैया कराएंगे। उन्होंने भूपिंदर के पिता को राजी किया कि वे उसे स्कूल में जाने दें। कड़ी मेहनत करके उसने अच्छा प्रदर्शन किया। उसने विज्ञान के अपने प्रोजेक्ट के लिए सराहना पाई। जब कक्षा 9वीं में था तो उसके सामने फिर पढ़ाई जारी रखने या स्कूल छोड़कर परिवार की आर्थिक सहायता के लिए काम करने की दुविधा पैदा हो गई। एक तरफ परिवार कमाई की गुहार लगा रहा था और शिक्षक पढ़ाई जारी रखने पर जोर दे रहे थे। अंतत: शिक्षकों के साथ उसकी नियति की भी जीत हुई। 
मुंबई में सैयद किताबें बेचते हुए ग्राहकों से उसकी बेची हुई किताब के शब्द पूछता। उसके पिता ने उसे अक्षरज्ञान कराया था, जिससे उसे किताबंे बेचने में मदद मिलती। सड़कों पर पल रहे बच्चों का सर्वे कर रहे गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) आकांक्षा फाउंडेशन 14 वर्षीय सैयद की अंग्रेजी बोलने की काबिलियत से प्रभावित हुआ। जल्दी ही सैयद को इस एनजीओ में शामिल होकर पढ़ने के लिए मनाया गया। 2011 में दसवीं की परीक्षा देने के पहले प्रयास में वह नाकाम रहा। अगले साल वह फिर परीक्षा में बैठा और पास हो गया। एनजीओ की आर्थिक मदद से कक्षा 11वीं में उसने 91 फीसदी अंक हासिल किए और 12वीं बोर्ड में उसे 89 फीसदी अंक हासिल हुए। वह समाजशास्त्र में ग्रेजुएशन करने लगा और साथ में 'मैजिक टूर्स' के लिए टूर गाइड का काम करने लगा। 
स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद अब भूपिंदर उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ स्थित सिख लाइट इन्फ्रेंट्री रेजिमेंटल सेंटर में जनरल ड्यूटी सोल्जर की ट्रेनिंग ले रहा है। जून में शुरू हुई ट्रेनिंग अप्रैल 2018 में पूरी हो जाएगी। अब वह अपना ग्रेजुएशन पूरा करना चाहता है। उसका लक्ष्य है सेना में कमीशन प्राप्त अफसर बनना। इन्फेन्ट्री में भर्ती होने के बाद भूपिंदर हरी वर्दी पहनकर अपने गांव गया सबको उस पर गर्व हुआ। 
पिछले साल सैयद को एक कोर्स का पता चला, जिसके तहत सैयद अमेरिका के टेक्सास राज्य के ह्यूस्टन कम्युनिटी कॉलेज में 10 माह बिज़नेस स्टडीज की पढ़ाई कर सकता था। उसने आवेदन किया और उसे प्रवेश मिल गया और वह अभी अमेरिका में है। हैंडलूम पिक्चर कंपनी के संस्थापक निदेशक राम सुब्रह्मण्यम ने उस पर तीन मिनट का वीडियो बनाया। पिछले शनिवार को यह वीडियो वायरल हो गया। वे लोग जो कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं और उनमें सारी कठिनाइयों को मात देने वाली ज़िद है, उन्हें आखिरकार सफलता मिलती ही है। 
फंडा यह है कि मजबूतइच्छा-शक्ति से प्रेरित बहादुर दिलों को गरीबी कभी अपने ध्येय से विचलित नहीं कर सकती।