Saturday, November 11, 2017

हिन्दुओं को अल्पसंख्यक दर्जे पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

साभार: जागरण समाचार 
जम्मू-कश्मीर सहित आठ राज्यों में हिन्दूओं को अल्पसंख्यक बताते हुए नए सिरे से अल्पसंख्यकों की पहचान कर नई अधिसूचना जारी करने की मांग पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने इस बारे
में याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जाने को कहा है। 
ये आदेश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दत्तार की दलीलें सुनने के बाद दिए। इससे पहले दत्तार ने कहा कि कई राज्यों ने अपने यहां अल्पसंख्यकों की पहचान नहीं की है। जम्मू-कश्मीर में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। इसके अलावा पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक घोषित किया गया है जबकि वे बहुसंख्यक हैं फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। दत्तार आगे बहस करते इसके पहले ही पीठ ने कहा कि उन्हें अपनी मांग राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सामने रखनी चाहिए। ये चीजें आयोग ही तय कर सकता है। पीठ ने उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग जाने की छूट देते हुए सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 1993 को पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया। 2014 में इसमें जैन भी शामिल कर दिए गए। हिन्दूओं को अल्पसंख्यक सूची में शामिल नहीं किया गया जबकि हिन्दू आठ राज्यों में अल्पसंख्यक हैं। याचिका में कहा गया था कि 2011 की जनगणना के मुताबिक, हिन्दू लक्षद्वीप (2.5 फीसद), मिजोरम (2.7 फीसद), नगालैंड (8.75 फीसद), मेघालय (11.53 फीसद), जम्मू-कश्मीर (28.44 फीसद), अरुणाचल प्रदेश (29 फीसद), मणिपुर (31.39 फीसद) और पंजाब (38.40 फीसद) में अल्पसंख्यक हैं। इन राज्यों में न तो केंद्र ने और न ही राज्य सरकारों ने कानून के मुताबिक हिन्दूओं को अल्पसंख्यक समुदाय अधिसूचित किया है। इस वजह से इन राज्यों में हंिदूू संविधान के अनुच्छेद 25 और 30 के तहत अल्पसंख्यक वर्ग को मिलने वाले लाभ से वंचित हैं।