साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘पद्मावती’ से कुछ कथित आपत्तिजनक दृश्य हटाने की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने याचिका को ‘अपरिपक्व’ (प्रीमेच्योर) करार दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र,
जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को कहा कि सेंसर बोर्ड यानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने अभी तक फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया है। लिहाजा, सर्वोच्च अदालत एक संवैधानिक निकाय को उसका कार्य करने से नहीं रोक सकती। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने अपनी इस याचिका के जरिये मांग की थी कि फिल्म की रिलीज से पहले उसमें से कथित रूप से रानी पद्मावती के चरित्र की हत्या करने वाले सभी दृश्य हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि फिल्म के दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर वाले हिस्सों को इस तथ्य के बावजूद जारी कर दिया गया कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म प्रमाणपत्र के आवेदन को अधूरा बताते हुए लौटा दिया है। इस पर एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बताया कि फिल्म का प्रोमो सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद ही जारी किया गया है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि सेंसर बोर्ड को अदालत यह निर्देश नहीं दे सकती कि वह किसी मामले में किसी खास दृष्टिकोण से फैसला ले।
मध्य प्रदेश में देखे बिना प्रतिबंध: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर बनी फिल्म ‘पद्मावती’ का प्रदर्शन मध्य प्रदेश में नहीं होगा। हालांकि ‘पद्मावती’ अभी रिलीज नहीं हुई है और राज्य में किसी ने देखा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि पद्मावती राष्ट्रमाता हैं और भोपाल में उनका स्मारक बनाया जाएगा।
राजस्थान में भी पाबंदी की तैयारी: मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान ने भी फिल्म ‘पद्मावती’ पर पाबंदी की तैयारी कर ली है। राज्य के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने सोमवार को उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। कटारिया ने बताया कि सिनेमेटोग्राफी एक्ट के तहत सरकार को यह कार्रवाई करने का अधिकार है।