साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा में संचालित अवैध स्कूलों पर सरकार जल्द कोई सख्त कदम उठा सकती है। वर्ष 2012 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध स्कूलों पर कार्रवाई को लेकर आदेश दिया था। उसी आदेश का हवाला देते हुए
हाईकोर्ट ने अब 5 साल बाद फिर से सरकार से पिछले आदेशों पर की गई कार्रवाई का रिकाॅर्ड तलब किया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला 9 अक्टूबर को एक जनहित याचिका के दौरान दिया। दरअसल प्रदेश में अवैध स्कूल और स्कूलों में बच्चों के लिए शिक्षा के उचित प्रबंध को लेकर कार्य करने वाले स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने कुछ दिन पूर्व हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें अवैध स्कूलों पर कार्रवाई की बात कही गई। जनहित याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की डबल बैंच से न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल अमित रावल ने की है। सुनवाई के दौरान पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा अवैध स्कूलों पर कार्रवाई करने के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने सरकार को उस दौरान की गई कार्रवाई का रिकार्ड मांगा है। ऐसे में शिक्षा विभाग को आगामी 7 नवंबर को होने वाली सुनवाई में अवैध स्कूलों पर की गई कार्रवाई का रिकाॅर्ड दिखाना होगा।
प्रदेश में 5000 अवैध स्कूल: हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने वाले स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के जिला अध्यक्ष पुनीत कुमार की मानें तो प्रदेश में करीब 5000 स्कूल ऐसे हैं जो नियमानुसार अवैध हैं। इसमें प्ले स्कूलों से लेकर 12वीं तक के स्कूल शामिल हैं। वहीं इसके दूसरी ओर सरकार के आंकड़ों पर विश्वास करें तो करीब 861 अवैध स्कूल अभी भी संचालित हैं। जिलाध्यक्ष की मानें तो अगर सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई नहीं की है तो अवमानना का मामला भी उठाएंगे।
अवमानना को लेकर कोर्ट से करेंगे कार्रवाई की मांग: हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से वर्ष 2012 की रिट में दिए आदेश को लेकर अवैध स्कूलों पर कार्रवाई का रिकाॅर्ड तलब किया है। इसको लेकर 7 नवंबर को आगामी सुनवाई में सरकार रिकाॅर्ड नहीं दिखा पाती है तो हम अवमानना को लेकर आगे कोर्ट से कार्रवाई की मांग करेंगे। - अंकित ग्रेवाल, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता।
हाईकोर्ट ने 2012 मेें ये दिया था आदेश: वर्ष2012 में मनोज कुमार जसवाल वर्सेस राज्य सरकार के मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान तत्कालीन स्कूल शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरीना राजन को कार्रवाई के आदेश दिए थे। आदेश में कोर्ट ने कहा था कि जनहित याचिका में मालूम हुआ है कि हरियाणा राज्य में कई स्कूल बिना किसी बोर्ड की मान्यता या किसी कंपीटेंट अथॉरिटी के संचालित हैं। ऐसे में इन पर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। मौजूदा याचिकाकर्ता की मानें तो इस आदेश के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।