साभार: जागरण समाचार
हरियाणा सरकार हरियाणा के कच्चे कर्मचारियों को दिवाली का तोहफा देते हुए उन्हें पक्का करने का निर्णय लिया है। वर्ष 2011 की नियमितीकरण पॉलिसी के तहत राज्य के द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के अनुबंधित व
पार्ट टाइम कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव ने यह आदेश जारी कर दिए हैं। अब तक सरकार को लग रहा था कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पॉलिसी पर रोक लगा रखी है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ दो दौर की बातचीत में वर्ष 2011 की नियमितीकरण पॉलिसी पर रोक नहीं होने का मुद्दा उठाया तो सरकार ने कागज खंगालने शुरू किए। आखिरकार दावा सही निकला। हाई कोर्ट ने पिछली हुड्डा सरकार की सिर्फ वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसी पर ही रोक लगाई हुई है।
हालांकि वर्ष 2011 की नियमितीकरण पॉलिसी भी हुड्डा सरकार के कार्यकाल की है। वहीं भाजपा सरकार 2014 के साथ-साथ 2011 की पॉलिसी पर भी हाई कोर्ट की रोक मान रही थी। अब सरकार ने इस गलती को सुधारते हुए अनुबंधित, पार्ट टाइम और तदर्थ कर्मचारियों को पक्का करने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, जिला उपायुक्तों, बोर्ड एवं निगमों के प्रबंध निदेशकों और विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार को परिपत्र भेजकर वर्ष 2011 की नियमितीकरण की पॉलिसी के दायरे में आने वाले द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के अनुबंधित व पार्ट टाइम कर्मचारियों के केस सरकार के पास भिजवाने को कहा है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा के अनुसार मोटे तौर पर करीब एक हजार कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन सरकार को वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसी पर लगी रोक हटवाने के लिए भी पैरवी करनी चाहिए।
क्या है 2011 व 1993 की नियमितीकरण पॉलिसी:
- 10 अप्रैल 2006 को जिन पार्ट टाइम, तदर्थ और अनुबंधित कर्मचारियों की सेवाएं दस साल की पूरी हो गई, वे नियमित होने के पात्र होंगे।
- जब कर्मचारी की नियुक्ति हुई अर्थात 10 अप्रैल 1996 को, उस समय स्वीकृत पद खाली होना चाहिए।
- जिस दिन कर्मचारी नियमित होने का पात्र होगा यानी 10 अप्रैल 2006 को, उस समय भी स्वीकृत पद खाली होना चाहिए।
- कर्मचारी की भर्ती प्रक्रिया रोजगार कार्यालय अथवा संबंधित विभाग की चयन कमेटी के माध्यम से पूरी की गई हो। यानी पद का विज्ञापित होना जरूरी है।
- जिस पोस्ट पर संबंधित कर्मचारी नियमित होने का पात्र है, उस पोस्ट के लिए कर्मचारी के पास उसकी योग्यता का होना अनिवार्य है।
हमने मुख्यमंत्री के साथ दो बार बैठकें की। नियमितीकरण की स्थायी पॉलिसी बनाने की मांग की गई। साथ ही 1993 और 2011 की नियमितीकरण पॉलिसी के तहत कर्मचारियों को नियमित करने की मांग उठाई। इन दोनों पॉलिसी पर हाईकोर्ट का कोई स्टे नहीं है। सरकार ने 2011 की पॉलिसी रिलीज कर दी है। अब 1993 की पॉलिसी को भी रिलीज करना चाहिए। - सुभाष लांबा, महासचिव, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा