साभार: जागरण समाचार
लंबे अरसे से अटकी नई शिक्षा नीति को लेकर आखिरकार अब इंतजार खत्म होने वाला है। दिसंबर 2017 के अंत तक सरकार इसे लागू करने की तैयारी में है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा, अभी भी इसे लेकर सरकार
कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वह नीति को एक साथ लागू करने के बजाय तीन चरणों में लागू करने की योजना बना रही है, ताकि शुरुआत के साथ ही कोई विवाद न हो जाए। दरअसल, नई नीति को लेकर राज्यों से विचार-विमर्श जरूर हुआ है, लेकिन ऐसे कई बिंदु हो सकते हैं, जिस पर सर्वसम्मति नहीं होगी। लिहाजा नवंबर में आ रही नई नीति को लागू करने से पहले केंद्रीय स्तर पर मंथन भी होगा। यह तय किया जाएगा कि पहले चरण में नीति का कौन सा हिस्सा रखा जाए। मानव संसाधन विकास मंत्रलय के सूत्रों की मानें तो नीति पर मंथन के लिए देश के करीब 150 प्रख्यात शिक्षा विशेषज्ञों को दिल्ली बुलाया गया है। इस मंथन के पीछे सरकार का उद्देश्य नीति के ऐसे सभी पहलुओं को चिह्न्ति करना है, जिन्हें पहले चरण में लागू किया जा सकता है। साथ ही इसका फायदा भी तुरंत मिल सके।
सरकार जिस नई शिक्षा नीति को लागू करने जा रही है, उसे अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय कमेटी ने तैयार किया है। इसका गठन जून 2017 में किया गया था। इस कमेटी ने सदस्य के जे अल्फोंस भी है, जिन्हें सरकार ने पिछले दिनों मंत्री बनाया है।
इस मुद्दों पर दिखेगा बदलाव: नई शिक्षा नीति में सरकार ने जिन प्रमुख मुद्दों को शामिल किया है, उनमें पाठ्य सामग्री, स्कूली शिक्षा का स्तर, परीक्षा सुधार, शिक्षा में कौशल और रोजगार, शिक्षक विकास और प्रबंधन, भाषा और संस्कृत, उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, अनुसंधान, नवाचार और नया ज्ञान, नीतिगत ढांचा, बाल एवं किशोर शिक्षा के अधिकारों की सुरक्षा आदि हैं।