साभार: जागरण समाचार
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि पराली निस्तारण की योजना के तहत अब खेतों से पराली निकालने का काम मनरेगा के तहत करवाया जाएगा। इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा
गया है। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद मजदूर लगाकर किसानों के खेतों से पराली निकाली जाएगी। इसके अलावा धान अथवा गेहूं की खरीद के दौरान ही पराली निस्तारण के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार किया जा रहा है। धनखड़ ने यह जानकारी इनेलो विधायकों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में दी।
इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला, जसविंद्र सिंह संधू, रामचंद कांबोज, बलवान सिंह दौलतपुरिया और वेद नारंग सदन में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आए। इन विधायकों ने कहा कि जब पराली निस्तारण की कोई योजना है ही नहीं तो किसानों के सामने उसे जलाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि किसानों के पराली जलाने पर सरपंच को दंडित करने का प्रावधान समझ से परे है। यदि यह सही है तो हरियाणा प्रदेश तीन बार जला तो क्यों न सरकार के मुखिया के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। चौटाला की इस दलील पर सदन में चुप्पी छा गई। कृषि मंत्री धनखड़ ने कहा कि खेत में पराली जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ पराली के निपटान पर 1600 रुपये खर्च आता है, लेकिन पराली जलाने पर 15 हजार का नुकसान होना तय है। धनखड़ ने पराली निस्तारण के लिए 75 करोड़ की परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि संयंत्रों पर सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन के साथ हुए समझौते के तहत इथानोल बनाने का कारखाना लगाने के बाद पराली निस्तारण की समस्या नहीं रहेगी।