साभार: जागरण समाचार
बोर्ड परीक्षा में सरकारी स्कूलों के गिरते परीक्षा परिणाम का असर दलित छात्रों के वजीफे पर पड़ने लगा है। हालात से चिंतित सरकार ने अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना का लाभ छात्रों तक पहुंचाने के लिए अंकों की योग्यता
भी घटाई, लेकिन लाभार्थी नहीं बढ़े। इसके अलावा पारिवारिक आय की सीमा को भी ढाई लाख से बढ़ाकर 3.60 लाख करने के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस साल एक तिहाई से भी कम विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिल पाई है।
हरियाणा में डॉ. अंबेडकर मेधावी छात्र योजना के तहत अनुसूचित जाति, विमुक्त जाति, टपरीवास, घुमंतू और अर्धघुमंतू जातियों के छात्रों को आठ से 12 हजार रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है। योग्यता का पैमाना दसवीं, बारहवीं और स्नातक स्तर के रिजल्ट को रखा गया है। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स में प्रवेश के लिए आर्थिक कारणों को अड़चन नहीं बनने देने के लिए यह मदद दी जाती है। गिरते परीक्षा परिणाम के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015-16 में अंक प्रतिशतता को पांच से दस फीसद तक घटा दिया।
अनुसूचित जातियों के लिए दसवीं में अंकों को 70 से घटाकर 60, 12वीं में 75 की जगह 70 और स्नातक में 65 से घटाकर 60 फीसद कर दिया गया है। इसी तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (ब्लॉक ए) के लिए पास फीसद 70 से घटाकर 60 और (ब्लॉक बी) के लिए 80 की बजाय 75 किया गया है। इसके बावजूद लाभार्थियों का ग्राफ नीचे गिरता चला गया। पिछले साल जहां 22,040 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के रूप में 1618 करोड़ रुपये मिले, वहीं इस साल अभी तक 6556 छात्र वजीफा ले पाये हैं।
विधानसभा में भी उठा मामला: विधानसभा के हाल ही में खत्म हुए शीतकालीन सत्र में भी यह मामला उठा। अनुसूचित जातियां एवं पिछड़े वर्ग कल्याण राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि सरकार ने और अधिक छात्रों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए पारिवारिक आय की सीमा को ढाई लाख से बढ़ा कर 3.60 लाख रुपये कर दी है जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंजूरी दे चुके। निकट भविष्य में छात्रवृत्ति राशि में बढ़ोत्तरी की कोई योजना नहीं है।