साभार: जागरण समाचार
माटी का ही दीया जलाना, अबकी बार दिवाली में जहर पटाखों का न फैलाना, अबकी बार दिवाली में कुछ इस तरह के संदेश के साथ प्रदेश में इस बार प्रदूषण रहित दीपावली मनाने की मुहिम जोर पकड़ गई है। राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र में शामिल हरियाणा के 13 जिलों में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध और पूरे प्रदेश में आतिशबाजी के लिए सिर्फ तीन घंटे की छूट के अदालती आदेश का पालन कराने के लिए सरकार ने भी पूरी ताकत झोंक दी है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आमजन को दिवाली मनाने का दस्तूर बदलने और पटाखों की बजाय माटी के दीयों से उजाला करने के लिए प्रेरित करने का अभियान छेड़ रखा है। इश्तिहारों के साथ टीमें फील्ड में जाकर लोगों को आतिशबाजी के नुकसान से अवगत कराते हुए इको फ्रेंडली दीपावली मनाने पर जोर दे रही हैं। स्कूलों में भी पटाखे नहीं चलाने की शपथ दिलाई गई। प्रशासनिक स्तर पर पिछली बार की अपेक्षा इस बार 80 फीसद पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस ही नहीं दिए गए। वहीं चोरी-छिपे पटाखों की बिक्री पर नजर रखने के लिए थाना स्तर पर पुलिस स्क्वायड की जिम्मेदारी लगाई है जो गश्त कर अदालती आदेशों का पालन सुनिश्चित करेंगी।
पिछले तीन-चार वर्षो की बात करें तो स्थिति में कुछ सुधार तो हुआ, लेकिन संतोषजनक नहीं। खासकर एनसीआर के जिलों में। वर्ष 2014 में दीपावली के दिन यहां पीएम 2.5 का स्तर 255 से 281 माइक्रोग्राम/घनमीटर रहा जो 2015 में 200 से 250 के बीच था। पिछले साल यह 250 से 283 माइक्रोग्राम/घनमीटर रहा। दिवाली के दूसरे दिन भी कई इलाकों में पीएम 2.5 लेवल सामान्य से 16 गुणा ज्यादा 999 तक दर्ज किया गया। सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टटिंग एंड रिसर्च की मानें तो इस दीपावली पर एनसीआर में पीएच-10 का स्तर 300 के आसपास रहेगा।
आतिशबाजी के नुकसान: हर साल दिवाली पर वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने से जहां हजारों पक्षी दम तोड़ जाते हैं। वायुमंडल में कार्बन मोनोऑक्साइड के रिसाव से किडनी, हर्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।