हर काम में संवाद जरूरी है। इससे नए आइडिया भी आते हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ कारणों से संवाद में बाधा आती है। इस बाधा को कैसे दूरकर सकते हैं, इसी बारे में जानते हैं हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू से।साथ ही देखते हैं जब
बॉस का फीडबैक नहीं मिले तो क्या हैं उपाय।
बॉस का फीडबैक नहीं मिले तो क्या हैं उपाय।
संवाद का तरीका कर्मचारी की पसंद का हो: कंपनी अगर एक साथ कई शहरों में काम कर रही हो, तो बॉस के लिए सभी कर्मचारियों से संपर्क साधना मुश्किल हो जाता है। कर्मचारियों को देखे सुने बिना, उनके हावभाव समझे बिना, बोलने का लहजा जाने बिना कई तरह की गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं। हो सकता है आप वीडियो रिकॉर्डिंग भेजकर कर्मचारियों को फीडबैक देने का मन बनाएं। मगर मुद्दा काम की समीक्षा जैैसा गंभीर है तो अधीनस्थ लोगों से पूछिए कि वे किस माध्यम को सुविधाजनक मानते हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बेहतर तरीका हो सकता है। फिर भी यदि कर्मचारियों को लगता है कि फोन से बात ही बेहतर है, तो उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए। साल में कई मौकों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंंग करेंगे तो यह माध्यम आपको और कर्मचारियों को ज्यादा सुविधाजनक लगने लगेगा।
(स्रोत:एचबीआर गाइड टू परफॉर्मेंस मैनेजमेंट।)
फीडबैक न मिले ताे यहां फोकस कर सकते हैं: आप ऐसे बॉस के साथ काम कर रहे हैं, जो फीडबैक नहीं देते तो आप खुद को दिशाहीन पाने लगते हैं। ऐसे में ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि सफल मैनेजर अपने कर्मचारियों में किन खूबियों को तलाशते हैं। कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा परफॉर्मेंस इवैल्यूएशन के लिए तैयार डेटा के विश्लेषण से इन खूबियां कह पहचान की जा सकती है। दरअसल मैनेजर्स अपने उन अधीनस्थ लोगों से प्रभावित रहते हैं, जो समय पर लक्ष्य हासिल कर लें। काम की क्वालिटी भी मायने रखती है। मैनेजर्स उन लोगों को भी अच्छे अंक देते हैं जो भरोसेमंद हों, बेहतर तरीके से कम्युनिकेट करते हों और तकनीकी रूप से दक्ष हों। अगर बॉस आपको नहीं बताता कि वह क्या चाहता है, आप इन आम उम्मीदों के आधार पर खुद को आंकें। देखें कि आप बाकी टीम के मुकाबले कितना आउटपुट दे रहे हैं।
(स्रोत:हाऊ टू इंप्रूव एट वर्क व्हेन यू आर नॉट गेटिंग फीडबैक। जैक झेंगर एंड जोसफ फोकमैन।)
लीडर्स टीम की सोच काे नहीं दबाएं तो बेहतर: एक टीम लीडर के तौर पर आपका दायित्व है कि ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करें, जहां सभी भयमुक्त होकर आइडिया रख सकें। साथियों को अहसास हो कि विचारों के आधार पर उन्हें जज नहीं किया जा रहा है। मगर ऐसे में यह सुनिश्चित करना भी कठिन हो जाता है कि आप जाने-अनजाने किसी अन्य के विचार को कुचल तो नहीं रहे। असल में लीडर को अपने और दूसरों के आइडिया के बीच संतुलन बनाए रखना होता है। हो सकता है समयसीमा परफॉर्मेंस टारगेट कर्मचारियों पर अपने आइडिया थोपने के लिए मजबूर कर रहा हो। मगर ऐसा करने से टीम के सदस्यों में खुद के प्रति संदेह पैदा होगा। इससे उनके इस विचार को भी बल मिलेगा कि लीडर के पास हर चीज का जवाब होता है। ऐसे में लीडर की तरह पेश आकर सभी को समझाएं कि आपका आइडिया टीम के आइडिया से अलग नहीं है।
(स्रोत:हाऊ टू नरिश योर टीम्स क्रिएटिविटी। रोन कारुची)