साभार: भास्कर समाचार
कई जगह दुकानदार लोगों से प्रोडक्ट की एमआरपी के ऊपर जीएसटी ले रहे हैं, जो गलत है। इसलिए सरकार को यह बात साफ करनी चाहिए कि एमआरपी के ऊपर जीएसटी लेने वाले कारोबारियों पर कार्रवाई की जा सकती
है। जीएसटी पर बने मंत्री समूह ने यह सिफारिश की है। इसने कहा है कि एमआरपी में जीएसटी शामिल करने को अनिवार्य बनाया जाए। रेस्तरां और मॉल के दुकानदारों के खिलाफ यह शिकायत ज्यादा रही हैं। असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने रविवार को अपनी सिफारिशें जीएसटी काउंसिल को सौंपी हैं। इसने कहा है कि सामान के बिल में कीमत और टैक्स को अलग-अलग दिखाया जा सकता है। कारोबारी अपने रिटर्न में इनवॉयस की जानकारी अपलोड करते समय भी इसे अलग दिखा सकते हैं। लेकिन ग्राहक से एमआरपी से ज्यादा कीमत नहीं ली जा सकती है। मंत्री समूह की सिफारिशों पर 10 नवंबर को गुवाहाटी में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में विचार हो सकता है।
रिटर्न फाइलिंग में एचएसएन कोड और इनवॉयस मैचिंग को भी आसान बनाने का सुझाव है।
सरकार ने जुलाई की रिटर्न फाइलिंग की आखिरी तारीख एक माह बढ़ा दी है। अब जीएसटीआर-2 30 नवंबर तक और जीएसटीआर-3 11 दिसंबर तक भरा जा सकता है। पहले इनकी आखिरी तारीख क्रमश: 31 अक्टूबर और 11 नवंबर थी। जीएसटीआर-1 सेल्स और जीएसटीआर-2 परचेज का रिटर्न होता है। इन दोनों को मिलाकर जीएसटीआर-3 तैयार होता है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शनिवार तक सिर्फ 12 लाख कारोबारियों ने जीएसटीआर-2 फाइल किया है। कारोबारी इसकी फाइलिंग के वक्त जीएसटीएन पोर्टल पर दिक्कत आने की शिकायत कर रहे हैं। सरकार जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए लेट फाइन पहले ही माफ कर चुकी है।
सभी कारोबारियों के लिए तिमाही रिटर्न फाइलिंग की सुविधा हो। अभी सालाना 1.5 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाले ही तिमाही रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
रिटर्न फाइलिंग में देरी पर जुर्माना 200 से घटाकर 100 रु. प्रतिदिन किया जाए। जुर्माने में आधा सेंट्रल जीएसटी आधा स्टेट जीएसटी मद में जाता है।
सरकार ने जुलाई की रिटर्न फाइलिंग की आखिरी तारीख एक माह बढ़ा दी है। अब जीएसटीआर-2 30 नवंबर तक और जीएसटीआर-3 11 दिसंबर तक भरा जा सकता है। पहले इनकी आखिरी तारीख क्रमश: 31 अक्टूबर और 11 नवंबर थी। जीएसटीआर-1 सेल्स और जीएसटीआर-2 परचेज का रिटर्न होता है। इन दोनों को मिलाकर जीएसटीआर-3 तैयार होता है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शनिवार तक सिर्फ 12 लाख कारोबारियों ने जीएसटीआर-2 फाइल किया है। कारोबारी इसकी फाइलिंग के वक्त जीएसटीएन पोर्टल पर दिक्कत आने की शिकायत कर रहे हैं। सरकार जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए लेट फाइन पहले ही माफ कर चुकी है।
सभी कारोबारियों के लिए तिमाही रिटर्न फाइलिंग की सुविधा हो। अभी सालाना 1.5 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाले ही तिमाही रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
रिटर्न फाइलिंग में देरी पर जुर्माना 200 से घटाकर 100 रु. प्रतिदिन किया जाए। जुर्माने में आधा सेंट्रल जीएसटी आधा स्टेट जीएसटी मद में जाता है।