Sunday, October 29, 2017

हैप्पीनेस मैनेजमेंट: खुशी के दरवाजे खुलते हैं पर हम देख नहीं पाते, खुशी इंसान के भीतर और पसंद के काम में है

साभार: भास्कर समाचार
कहा जाता है कि खुशी इंसान के भीतर होती है। दूसरे तरीके से कहा जाए तो यह एटिट्यूड का मामला है। हम चाहें तो खुद को दुखी और कमजोर रख सकते हैं या फिर खुश और काम में व्यस्त। हेलन कैलर ने खुशी के बारे
में कहा है कि जब खुशी का एक दरवाजा बंद हो जाता है तो दूसरा खुलता है। लेकिन हम बंद हुए दरवाजे को इतनी देर तक देखते रहते हैं कि नए खुले दरवाजे की तरफ देख ही नहीं पाते। असल में हमारे पास वो नजर होनी चाहिए जो खुशी को देख सके। और वो इच्छा होनी चाहिए जो खुशी के उस दरवाजे तक हमें ले जा सके। सबसे बड़ी खुशी संतोष से आती है। संतोष वो काम करने से आता है जो आपको पसंद है। इसलिए जिसे आप सर्वश्रेष्ठ काम अपने लिए मानते हैं वही करेंगे तो खुशी बाहर नहीं तलाशनी पड़ेगी। क्योंकि जो काम आप पसंद से करते हैं उसमें प्रतिस्पर्धा या हार-जीत का खयाल आपके मन में नहीं आता। उसका आप सिर्फ आनंद लेते हैं। जबकि जो काम आप अनिच्छा से करते हैं उसके पीछे मकसद अक्सर कुछ साबित करना होता है। कुछ साबित करने के लिए चूहा दौड़ में शामिल हो जाते हैं। अमेरिकी अभिनेत्री और कॉमेडियन लिलि टॉमलिन ने कहा है- चूहा दौड़ के साथ समस्या यह है कि यह रेस आप जीत जाते हैं तो भी रहते तो चूहे ही हैं।