Saturday, October 28, 2017

कश्मीर नहीं बनेगा सीरिया; शांति बहाली के लिए किसी से भी बात करने को तैयार IB के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा

कश्मीर में वार्ता के लिए नियुक्त किए गए आइबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा का कहना है कि वह किसी भी सूरत में इसे भारत का सीरिया नहीं बनने देंगे। उनका मानना है कि घाटी के हालात तनावपूर्ण हैं
और सुधार के लिए करने होंगे। इसके लिए वह सबसे बातचीत करने को तैयार हैं। एक विशेष बातचीत में शर्मा ने कहा, कि घाटी में फैलती कट्टरता से एक दिन कश्मीरी समाज ही तबाह हो जाएगा। यदि यही सब चलता रहा तो हालात यमन, सीरिया और लीबिया जैसे हो जाएंगे। लोग आपस में गुट बनाकर लड़ने लगेंगे। आइबी के पूर्व प्रमुख ने कहा कि कश्मीर की आजादी की बात करने वाले हों या इस्लामिक जिहाद की, आप पाकिस्तान, लीबिया, यमन और अन्य देशों को देख लें। 
पता चल जाएगा कि वहां क्या चल रहा है। ये देश दुनिया के सबसे ज्यादा ¨हसा वाले बन गए हैं। उन्होंने कहा, इसलिए मैं चाहता हूं कि यह भारत में न हो।
2003 से 2005 तक कश्मीर में इस्लामिस्ट टेरेरिज्म डेस्क के इंचार्ज रह चुके पूर्व आइपीएस को आंध्र प्रदेश, केरल व महाराष्ट्र में आतंकी संगठन आइएस (इस्लामिक स्टेट) के प्रभाव को रोकने का जिम्मा सौंपा गया था। तब उन्होंने किसी को गिरफ्तार करने के बजाए बातचीत के जरिये हालात को काफी हद तक काबू में कर लिया था। 1992-94 के बीच कश्मीर में जब वह आइबी के सहायक निदेशक के तौर पर कार्यरत थे तब उन्होंने हिजबुल मुजाहिदीन के तत्कालीन कमांडर मास्टर एहसान डार की गिरफ्तारी में अहम भूमिका अदा की थी।
हुर्रियत से बातचीत को तैयार: एक सवाल पर उन्होंने कहा कि बातचीत के लिए कश्मीरी युवा तक कैसे पहुंचा जाए, इसके लिए वह रास्ता तलाश कर रहे हैं। हुर्रियत नेताओं से बातचीत के सवाल पर उनका जवाब था कि शांति के लिए वह किसी से भी बात करने को तैयार हैं। उनका मानना है कि 2008 से पहले कश्मीर लगभग शांत था, जबकि 2016 में बुरहान वानी की मौत से पहले भी वहां हालात सामान्य थे, लेकिन साजिश के तहत युवाओं को भटका दिया गया। पिछले शांति प्रयासों के निष्कर्ष पर उनका कहना है कि वह सारी रिपोर्ट देख रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि कश्मीर में शांति बहाल हो सकती है।
कश्मीरी युवाओं को हिंसा के रास्ते पर देख कष्ट होता है: शर्मा ने कहा, ‘मैं जब कश्मीरियों, खासकर युवाओं को ¨हसा के रास्ते पर जाता देखता हूं, तो बहुत दुखी हो जाता हूं। कई बार भावुक भी हो जाता हूं। मैं इस ¨हसा का जल्द अंत चाहता हूं। इस्लाम के नाम पर कश्मीर के युवाओं को जब जाकिर मूसा, बुरहान वानी के रूप में बढ़ते देखता हूं तो बहुत पीड़ा होती है।’