साभार: भास्कर समाचार
किसी संस्थान को चलाना या टीम का नेतृत्व करना जोखिम भरा काम है। समय-समय पर समस्याएं आती रहेंगी। इन समस्याओं से कैसे निकलना है यह दिशा तय करना लीडर का काम है। दरअसल कंपनी के लिए बड़े
संकट कड़वी सच्चाई होती है और लीडर के लिए यह अपनी दक्षता साबित करने का समय होता है। साथ ही ऐसे ही मौकों पर विरोधी भी सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। संकट हमेशा संकेत साथ लेकर आते हैं कि बदलाव का समय गया है। यह परिवर्तन नीति के भी हो सकते हैं स्ट्रक्चर के भी। लीडर की जिम्मेदारी होती है कि वह इन बदलावों की और कंपनी को ले जाए। ऐसे में लीडर में कुछ गुण होने चाहिए। लीडर के लिए सबसे जरूरी है कि वह मुसीबतों के समय बहाने तलाशे। अच्छा लीडर अपने किसी कदम को सही ठहराने के लिए कुतर्क नहीं तलाशता। ही वो ऐसे में किस्मत को दोष देता है। अगर समस्या स्ट्रक्चर में कमी या असफलता के कारण सामने आई है तो अच्छा लीडर इसका आकलन करता है। अगर समस्या उसकी अपनी कमियों के कारण खड़ी हुई तो वह इसे भी स्वीकार करता है। अच्छे लीडर की खासियत होती है कि वो अपने प्रति हमेशा ईमानदार बना रहता है। समस्या के कारण पता लगाने के बाद वह अपनी टीम के साथ एक प्लान तैयार करता है कि कैसे इससे निकलना है। सारे विकल्पों को एक साथ एक जगह ला कर उन पर विचार करना अच्छा लीडर जानता है। एक बार जब प्लान तैयार हो जाता है और उसकी अच्छे से परख हो जाती है तो जल्दी से जल्दी उस पर अमल में लीडर जुट जाता है। ऐसे संकट के मौकों पर समय ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसलिए समय गंवाना संकट को बढ़ाना हो सकता है।
प्लान पर अमल शुरू होने से ही समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता। इसके बाद नए तरह की चुनौतियां और परेशानियां सामने आने लगती हैं। आलोचक या विरोधी ऐसे मौके पर कंपनी का नुकसान करने के लिए पूरी ताकत लगा सकते हैं। इनकी कोशिश यही होगी कि आपका ध्यान भंग हो जाए और आप दिशा भटक जाएं। ऐसे समय पर अपने काम पर और उद्देश्य पर फोकस बनाए रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। यह बात अच्छे लीडर जानते हैं।