साभार: जागरण समाचार
बिजली बिल न भरने वाले कर्मचारियों और पेंशनर्स से हरियाणा सरकार अब सख्ती से निपटेगी। सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों की ड्यूटी लगाई गई है जो डिफॉल्टरों से रिकवरी सुनिश्चित करेंगे। वहीं,
बिजली निगमों ने भी करोड़ों के बिल दबाए बैठे सरकारी महकमों के कनेक्शन काटने की तैयारी कर ली है।
प्रदेश में करीब ढाई लाख सरकारी कर्मचारी विभिन्न महकमों और डेढ़ लाख कर्मी बोर्ड-निगमों, स्थानीय निकाय और विश्वविद्यालयों में तैनात हैं। करीब एक तिहाई सरकारी कर्मचारियों पर करोड़ों के बिजली बिल बकाया हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त, हाईकोर्ट व विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और उपायुक्तों को लिखित आदेश जारी कर हिदायत दी है कि सभी वर्तमान और सेवानिवृत्त कर्मचारियों से बिजली बिलों का बकाया तुरंत प्रभाव से वसूल किया जाए। आदेश के बावजूद बिजली बिल न भरने वाले या बिजली चोरी में शामिल कर्मचारियों पर बिजली अधिनियम के साथ-साथ हरियाणा सिविल सर्विसेज रूल्स के तहत एक्शन लिया जाएगा। ऐसे में डिफाल्टर कर्मचारियों को भारी जुर्माने के साथ विभागीय कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
बिजली चोरी में आगे कर्मचारी: बिजली निगमों द्वारा प्रदेशभर में की गई छापेमारी के दौरान सरकारी आवासों में बिजली चोरी के हजारों मामले सामने आ चुके। अकेले जून में ही प्रदेश भर के 504 सरकारी आवासीय परिसरों की पड़ताल की गई जिसमें 343 घरों में बिजली चोरी पकड़ी गई थी। दोषियों से 88.78 लाख रुपये जुर्माना भी वसूला गया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है।
अरबों के डिफाल्टर महकमों की कटेगी बिजली: उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के करीब 172.65 करोड़ रुपये और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के 815.33 करोड़ रुपये सरकारी विभागों पर बकाया हैं। सिंचाई विभाग से 392 करोड़, नगर परिषद से 291 करोड़, वाटर वर्क्स विभाग से 162 करोड़ और पंचायत विभाग से 19 करोड़ की वसूली बाकी है। बिजली निगमों ने बिल नहीं जमा कराने वाले सरकारी विभागों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। इसके बाद कई बार नोटिस भेजने के बावजूद बकाया नहीं चुका रहे इन महकमों की अब बिजली काटी जाएगी।बिजली निगमों की वित्तीय वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के 74 फीडर का लाइन लॉस 50 फीसद से अधिक है। साथ ही 466 पर लाइन लॉस 20 से 50 फीसद तक है। लाइन लॉस के कारण ईमानदार उपभोक्ताओं को भी ऊंची कीमत पर बिजली मिलती है।