ईरान के साथ 2015 में परमाणु कार्यक्रम पर हुआ ऐतिहासिक करार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रवैये से खतरे में पड़ गया है। अमेरिकी रक्षा विभाग तेहरान पर नए सिरे से दबाव बढ़ाने की जुगत में जुटा है। ट्रंप की रणनीति को
देखते हुए दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका भी गहरा गई है। उन्होंने अन्य वैश्विक शक्तियों के इतर इस बात की पुष्टि करने से इन्कार कर दिया है कि ईरान करार की शर्तो का पालन कर रहा है।
ट्रंप ने कहा कि वह मध्य-पूर्व में सक्रिय आतंकी संगठनों को तेहरान से मिल रही मदद समेत अन्य मसलों से निपटेंगे। ईरान के साथ करार में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी ने ट्रंप के रुख की कड़ी निंदा की है। रक्षा विभाग के प्रवक्ता मेजर एडियन रैंकिन गैलोवे ने बताया कि अमेरिका मध्य-पूर्व में तैनात अपने जवानों की स्थिति और योजना की जांच-पड़ताल कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका नए मुद्दों की पहचान कर रहा है, ताकि सहयोगियों के साथ मिलकर ईरानी सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सके। आतंकी संगठनों को समर्थन करने की ईरान की क्षमता को खत्म करने की भी कोशिश की जाएगी।’ रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा कि ट्रंप सरकार का पहला लक्ष्य यूरोप, मध्य-पूर्व और अन्य क्षेत्रों में स्थित सहयोगियों के साथ बातचीत कर ईरान के कदम के प्रति साझा समझ विकसित करना है।
ईरान पर अलग-थलग पड़े अमेरिकी राष्ट्रपति: रूस ने परमाणु करार पर अमेरिका के ताजा कदम पर अफसोस जताया है। रूसी विदेश मंत्रलय ने एक बयान जारी कर कहा कि ईरान परमाणु करार के शर्तो का कड़ाई से पालन कर रहा है। फ्रांस, ब्रिटेन व जर्मनी ने भी अमेरिकी रुख का विरोध किया है। जर्मनी ने तो युद्ध की आशंका तक जता दी है। जर्मनी के विदेश मंत्री सिगमैर गैब्रियल ने कहा कि अगर अमेरिका ने परमाणु समझौते को रद कर फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगाए तो ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की ओर आगे बढ़ सकता है।
पाक ने उठाया अमेरिका का फायदा: आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के कब्जे से अमेरिकी कैटलन और उनके कनाडाई पति जोशुआ बोयले को सुरक्षित छुड़ाए जाने के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में कुछ गर्माहट दिख रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान की तारीफ करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच अब जाकर वास्तविक संबंध शुरू हुए हैं। वहीं उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने आतंक से लड़ाई में इसे महत्वपूर्ण कदम बताया।