साभार: जागरण समाचार
बोफोर्स कांड में हिंदुजा बंधुओं को आरोपमुक्त करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के राजी होने के बाद सीबीआइ भी इस मामले में सक्रिय हो गई है। जांच एजेंसी ने
इस मुद्दे पर सरकार से उसका रुख जानना चाहा है। इसने इस सिलसिले में कार्मिक मंत्रलय को पत्र लिखा है। उल्लेखनीय है कि 31 मई, 2005 को दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आरएस सोढ़ी ने तीनों हंिदूूजा बंधुओं-श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। उन्होंने बोफोर्स कंपनी को भी दलाली देने के आरोपों से बरी करते हुए सीबीआइ के कामकाज की आलोचना की थी।
वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हंिदूुजा बंधुओं को आरोप मुक्त करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2005 से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए अब तैयार हो गया है। इसके साथ ही सीबीआइ ने अमेरिका की निजी जांच एजेंसी फेयरफैक्स के प्रमुख मिशेल हर्शमैन द्वारा उजागर किए गए रहस्यों पर भी ध्यान देने की बात कही है। एजेंसी ने कहा है कि वह तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करेगी। हर्शमैन ने एक टीवी चैनल को कहा था कि जब उन्होंने राजीव गांधी को बताया कि उनको स्विस बैंक में ‘मोंट ब्लैंक’ अकाउंट का पता चला है, तो वे बहुत नाराज हो गए थे। हर्शमैन निजी जासूसों के एक सम्मेलन में भाग लेने पिछले सप्ताह भारत आए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बोफोर्स कांड में मिले दलाली के पैसे स्विस बैंक में छिपाए गए थे।
स्वीडन के मुख्य जांच अधिकारी स्टेन लिंडस्ट्राम के मीडिया में आए बयान के बाद बोफोर्स मामला महत्वपूर्ण हो गया है। जांच अधिकारी ने कहा है कि इस मामले में शीर्ष स्तर पर रिश्वत दी गई थी।