साभार: जागरण समाचार
दिल्ली के साथ ही एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटवाने के लिए पटाखा एसोसिएशन ने गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से 31 अक्टूबर तक लगाई रोक पर एसोसिएशन ने कहा कि
जिन रसायनों को लेकर प्रतिबंध लगा है, वह तो पटाखों में उपयोग नहीं करते हैं। यह भी कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ब्योरा देने में देरी की। जिसमें उन्हें स्टैंडर्ड पैरामीटर का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में देना था। पटाखों पर रोक से दिल्ली-एनसीआर के पांच हजार छोटे लाइसेंस वाले तो 500 बड़े कारोबारियों के साथ ही 16 से अधिक पटाखे निíमत करने वाली फैक्ट्ररियों का कारोबार प्रभावित होने का भी दावा किया है। एसोसिएशन के करीब 850 कारोबारियों ने संयुक्त रूप से पुर्नविचार याचिका दायर की है। शुक्रवार को मामले में सुनवाई होनी है।
पांच प्रतिबंधित रसायन हम नहीं डालते, चार दूसरे होते हैं प्रयोग: दिल्ली-एनसीआर पटाखा एसोसिएशन के प्रधान सुभाष कालड़ा का दावा है कि बीते साल 11 नवंबर को भी पटाखों की बिक्री पर रोक लगी थी। उस दौरान भी सुप्रीमकोर्ट में अपना पक्ष रखा तो कोर्ट की ओर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पटाखों में प्रयोग होने वाले रसायनों के स्टैंडर्ड पैरामीटर की जानकारी देने को कहा था। सुभाष कहते हैं कि करीब छह माह बाद नियंत्रण बोर्ड ने पांच प्रतिबंधित रसायन लेड(शीशा), एटीमनी, लिदेनियम, मर्करी, आर्सेनिक प्रयोग होने का ब्योरा दिया। एसोसिएशन के प्रधान का दावा है कि पटाखों में हम सिर्फ चार रसायन सल्फर, पोटेशियम नाइट्रेट, बेरियम और एल्युनियम ही प्रयोग करते हैं। इनका तो यहां तक दावा है कि एक्सक्लोजिंग डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया भी यह बात मान चुका है कि पटाखों में पांच प्रतिबंधित रसायन का प्रयोग नहीं होते हैं। 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने रोक को हटा दिया था। जबकि 20 सितंबर को कुछ अधिवक्ताओं की ओर से फिर से आवेदन किया और नौ अक्टूबर को प्रतिबंध लग गया।