साभार: जागरण समाचार
करीब 12 साल पहले पानीपत के पास Samjhauta Express blast मामले में पाकिस्तानी महिला की याचिका पर सुनवाई हुई। वह इस मामले में गवाही देना चाहती है। आज इस मामले में एनआइए की विशेष अदालत में
सुनवाई के बाद 20 मार्च को अगली सुनवाई की तिथि तय की। अर्जी वकील मोमिन मलिक द्वारा दायर की गई है। दूसरी ओर इस मामले में एक पाकिस्तानी गवाह का वीडियो सामने आया है। उसने इस कांड के आरोपितों की पहचान की दावा किया है।
समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले में 11 मार्च को फैसला एेन वक्त पर रुक गया था। पाकिस्तान की एक महिला राहिला ने अपने वकील द्वारा गवाही का मौका देने की मांग करने वाली अर्जी अदालत दी थी। राहिला के वकील एडवोकेट मोमिन मलिक द्वारा अर्जी दिए जाने के बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख तय की। अाज इस अर्जी पर विचार किया जाना था। अदालत को अभी यह तय करना है कि अर्जी को मामले की सुनवाई का हिस्सा बनाया जाए या नहीं। 14 मार्च को बार एसोसिएशन की हड़ताल के कारण दोनों पक्ष के वकील अदालत नहीं पहुंचे थे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई 18 मार्च को किए जाना तय किया था।
18 मार्च को इस मामले पर विशेष एनआइए अदालत में सुनवाई हुई। पाकिस्तान की एक महिला वकील द्वारा दी गई याचिका पर एनआइए व बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत में जवाब दाखिल किया। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को तय की। 20 मार्च को ही विशेष एनआइए कोर्ट पाकिस्तानी महिला की ओर से वकील मोमिन मलिक द्वारा याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी।
माेमिन मलिक ने यह याचिका सेक्शन 311 के तहत अर्जी दायर की है। इस अर्जी के जरिए उन्होंने दलील दी है कि पाकिस्तान के पीड़ित परिवारों को गवाही देने का अवसर नहीं मिला है और न ही उन तक समन तामील हुए हैं। ऐसे में एक बार उन्हें गवाही का मौका दिया जाए। अब अदालत यह तय करेगी कि पाकिस्तान के पीड़ित परिवारों को सुनवाई का मौका दिया जाए या फिर इस केस को अंजाम तक पहुंचाया जाए। अदालत में एनआइए के वकील ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि एनआइए द्वारा जो 13 पाकिस्तानी गवाहों की लिस्ट दी गयी थी उसमें याचिकाकर्ता पाकिस्तानी महिला गवाह राहिला वकील का नाम नहीं है।
दूसरी ओर, समझाैता एक्सप्रेस धमाका मामले में एक वीडियाे के सामने आने से केस में नया मोड़ अाता दिख रहा है। हालांकि अभी इस वीडियो की पुष्टि नहीं हुई है। समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में का पीड़ित होने का दावा करने वाले पाकिस्तानी नागरिक अनिल सामी ने अपने वकील मोमिन मालिक को वीडियो और पत्र लिखा है।
पाकिस्तानी गवाह अनिल सामी ने अपने वीडियो और पत्र में ब्लास्ट के आरोपियों को पहचानने का दावा किया है। सामी के अनुसार, ब्लास्ट में उसके पिता मोहम्मद शफ़ीक़ अहमद और भाई मोहम्मद हरीश की मौत हो गई थी। पीड़ित अनिल सामी ने वीडियाे में कहता दिख रहा है कि वह खुद भी इस धमाके में बुरी तरह झुलस गए थे।
अनिल सामी ने कहा कि वह ब्लास्ट मामले में गवाही के लिए भारत से कोई पैगाम आने का इंतजार कर रहे थे। वकील माेमिन मलिक के अनुसार, ब्लास्ट वाले दिन अनिल सामी अपने पिता व भाई के साथ समझौता एक्सप्रेस ट्रेन से पाकिस्तान वापस जा रहे थे। वे कानपुर से वापस जा रहे थे। माेमिन वकील ने बताया कि अनिल सामी के बयान का आवेदन भी दिया है।
बता दें कि 2007 Samjhauta blast case verdict 12 साल पहले पानीपत के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए धमाके के मामले में 11 मार्च को फैसला सुनाया था। लेकिन ऐन वक्त पर माेमिन मलिक की ओर से अर्जी के कारण मामले पर सुनवाई टल गई थी। इस घटना में 68 ट्रेन यात्री मारे गए थे और काफी संख्या में लोग घायल हो गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तान के रहने वाले थे। इस मामले में असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान आरोपित हैं।
इस केस में बहस होने के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में आठ आरोपितों में से एक की हत्या हो गई थी और तीन आरोपितों को पीओ घोषित कर दिया था। एनआइए के वकील आरके हांडा ने बताया कि समझौता एक्सप्रेस ब्लाल्ट मामले में एनआइए और बचाव पक्ष के बीच फाइनल बहस पूरी हो गई है। 26 जुलाई 2010 को मामला एनआइए को सौंपा गया था। 26 जून 2011 को आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।
आरोपियों पर आइपीसी की धारा (120 रीड विद 302) 120बी साजिश रचने के साथ 302 यानि की हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना, और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई हैं। अगर इन धाराओं के तहत आरोपी दोषी करार दिए जाते हैं, तो कम से कम उम्रकैद की सजा हो सकती है।
एनआइए के वकील आरके हांडा ने बताया कि एनआइए ने मामले में कुल 224 गवाहों को पेश किया। बचाव पक्ष ने कोई गवाह नहीं पेश किया। केवल अपने दस्तावेज और कई जजमेंट्स की कॉपी ही कोर्ट में पेश की। इस मामले में कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी गवाहों को पेश होने के लिए कई बार मौका दिया गया, लेकिन वह एक बार भी कोर्ट में नहीं आए। वकील हांडा ने बताया कि मामले में अब तक सिर्फ आरोपी असीमानंद को ही ज़मानत मिली है, बाकि तीनों आरोपित जेल में हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 में बम धमाका हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था। हादसे में 68 लोगों की मौत हो गई थी। ब्लास्ट में 12 लोग घायल हो गए थे। धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे। मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी शामिल थे।
19 फरवरी 2007 को दर्ज एफआइआर के मुताबिक समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को रात 11.53 बजे दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास धमाका हुआ। इसकी वजह से ट्रेन के दो जनरल कोच में आग लग गई थी। यात्रियों को दो धमाकों की आवाज़ें सुनाई दी, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बों में आग लग गई। बाद में पुलिस को घटनास्थल से दो सूटकेस बम मिले, जो फट नहीं पाए थे।
20 फरवरी, 2007 को प्रत्यक्षदर्शियों के ब्यानों के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच जारी किए। ऐसा कहा गया कि ये दोनों लोग ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए। इसके बाद धमाका हुआ। पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपये का नक़द इनाम देने की भी घोषणा की थी। हरियाणा सरकार ने इस केस के लिए एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया था।
15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी। पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी। ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खऱीदी गई थीं। बाद में इसी तर्ज पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और मालेगांव में भी धमाके हुए और इन सभी मामलों के तार आपस में जुड़े हुए बताए गए थे।
समझौता मामले की जांच में हरियाणा पुलिस और महाराष्ट्र के एटीएस को 'अभिनव भारत' के शामिल होने के संकेत मिले थे। इसके बाद स्वामी असीमानंद को मामले में आरोपित बनाया गया। एनआइए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सभी अक्षरधाम (गुजरात), रघुनाथ मंदिर (जम्मू), संकट मोचन (वाराणसी) मंदिरों में हुए आतंकवादी हमलों से दुखी थे और बम का बदला बम से लेना चाहते थे।
जुलाई 2018 में स्वामी असीमानंद समेत पांच लोगों को हैदराबाद स्थित मक्का मस्जिद में धमाके करने की साज़िश रचने के आरोप से बरी कर दिया था। इससे पूर्व मार्च 2017 में एनआइए की अदालत ने 2007 के अजमेर विस्फोट में सबूतों के अभाव में असीमानंद को बरी कर दिया था।