साभार: जागरण समाचार
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(डीसीआरयूएसटी) अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर रहा है। अब विदेशी शोधार्थी डीसीआरयूएसटी में शोध करने आएंगे, जिससे
विश्वविद्यालय में शोध कर रहे शोधार्थियों को भी नवीनतम व अत्याधुनिक शोध तकनीकी की जानकारी मिल सकेगी। विदेशी शोधार्थी जल व पर्यावरण संरक्षण पर शोध कार्य करेंगे। शोध कार्य इंडिया-एशियान संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत होगा।
विश्वविद्यालय के प्रो. अशोक कुमार शर्मा को इंडिया-एशियान प्रोजेक्ट मिला है। प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य विज्ञान की नई तकनीक को भारत व एशियन देशों में परस्पर सहयोग के साथ बढ़ावा देना है। इसके तहत स्वास्थ्य, संक्रामक रोग, प्रदूषण, कृषि, पर्यावरण व अन्य क्षेत्रों में शोध कार्य किया जाएगा। शोध कार्य शोधार्थियों को दो वर्ष में पूरा करना होगा। प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालय को डीएसटी (डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी) से लगभग 50 लाख रुपये भी मिलेंगे। प्रोजेक्ट के तहत यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया में कार्यरत डॉ. इकरामुल एवं यूनिवर्सिटी आफ ब्रुनई के डॉ. जोंस संटोस व उनके एक-एक शोधार्थी डीसीआरयूएसटी में शोध के लिए आएंगे। क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया का 87वां स्थान है। प्रो. अशोक शर्मा ने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत मलेशिया व ब्रुनई से आने वाले शोधार्थियों व वैज्ञानिकों का आर्थिक व्यय डीएसटी द्वारा वहन किया जाएगा। इस दौरान डॉ. प्रिया मलेशिया व ब्रुनई देशों के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर जल शुद्धीकरण व संरक्षण के लिए शोध कार्य करेंगी। कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने प्रो. अशोक शर्मा व डॉ. प्रिया को शुभकामनाएं दी।