साभार: जागरण समाचार
उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए रोस्टर आधारित आरक्षण प्रणाली बहाल करने संबंधी केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करने से इन्कार कर
दिया।
जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सात मार्च को जारी 'सेंट्रल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (रिजर्वेशन इन टीचर्स कैडर) ऑर्डिनेंस, 2019' को चुनौती दी गई थी। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को अपनी शिकायत लेकर हाई कोर्ट जाने के लिए कहा।
पीठ ने सवाल किया, 'आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जा सकते?' जब एक वकील ने कहा कि इस मामले का असर पूरे देश पर होगा, तो पीठ ने कहा, 'संसद में पारित देशभर में लागू कानून पर हाई कोर्ट भी सुनवाई कर सकते हैं। हम न्यायाधिकार के मसले की बात कर रहे हैं। आप पहले यहां क्यों आए हैं?'
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने जवाब दिया कि अध्यादेश के जरिये शीर्ष अदालत के आदेश को बेअसर किया गया है। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें अदालत के पूर्व आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। पूर्व आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को आरक्षण के मसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया था।
केंद्र की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति में एससी/एसटी या ओबीसी आरक्षण प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय या कॉलेज को नहीं, बल्कि विभाग को इकाई माना जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी यही आदेश सुनाया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान जब एक वकील ने कहा कि मामले में संवैधानिक मुद्दा शामिल है, इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यहां हर तीसरे मामले में संवैधानिक मुद्दा शामिल होता है।