साभार: जागरण समाचार
कई प्राइवेट स्कूलों ने निजी प्रकाशकों के साथ मिलकर अभिभावकों को लूटने का काम शुरू कर दिया है। जिन स्कूलों में बच्चों को NCERT की किताबें लगानी चाहिए, वे निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने को मजबूर कर रहे
हैं, क्योंकि प्रकाशकों की ओर से स्कूलों को मोटा कमीशन दिया जा रहा है। यह कमीशन 20 से 50 फीसद है। किताबें कौन से प्रकाशक की लगेंगी यह भी कमीशन पर निर्भर है।
कई प्राइवेट स्कूलों ने निजी प्रकाशकों के साथ मिलकर अभिभावकों को लूटने का काम शुरू कर दिया है। जिन स्कूलों में बच्चों को NCERT की किताबें लगानी चाहिए, वे निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ने को मजबूर कर रहे हैं, क्योंकि प्रकाशकों की ओर से स्कूलों को मोटा कमीशन दिया जा रहा है। यह कमीशन 20 से 50 फीसद है। किताबें कौन से प्रकाशक की लगेंगी यह भी कमीशन पर निर्भर है।
गलियों में ही खुल गई किताबों के दुकान: ज्यादातर जगहों पर अभिभावकों को किताबें स्कूल के अंदर से ही उपलब्ध कराई जा रही हैं, क्योंकि अब कार्रवाई का डर रहता है, इसलिए गत वर्ष तक सड़क किनारे स्टॉल लगाकर किताबें बेची गईं। अब किताबें बेचने के तरीके में थोड़ा बदलाव किया गया है। सामने स्टॉल लगाने के बजाय गलियों में गोदाम खोल लिए हैं। अभिभावक जब बच्चों को दाखिला दिलाने आते हैं तो ठिकाने की जानकारी दे दी जाती है। ये काम ज्यादातर उन स्कूलों में हो रहा है, जिनके पास CBSE की मान्यता है। अकेले यमुनानगर जिले की बार करें तो ऐसे स्कूलों की संख्या 70 के करीब है, जबकि अन्य निजी स्कूलों की संख्या 220 के आसपास है।
पहले से बनाकर रखे हैं सेट: निजी प्रकाशकों को पता है कि अभिभावकों को स्कूल की किताबें तो उनके पास से ही लेनी हैं, इसलिए उन्होंने पहले से ही किताबों के सेट बनाकर रखे हैं। आपको सिर्फ कक्षा का नाम लेना है। 15 से 22 किताबों का सेट आपके हाथ में होगा।
हर साल बदल देते हैं सिलेबस: प्राइवेट स्कूलों की तो मनमानी यह है कि वे हर वर्ष नए सिलेबस की किताबें लगा रहे हैं। ऐसे में अगर किसी का बच्चा दूसरी कक्षा में पढ़ता है तो पहली कक्षा वाले बच्चे के काम ये किताबें नहीं आएंगी। 20 से 30 पेज की प्रथम, केजी कक्षा की किताबों पर 149 से 230 रुपये तक रेट अंकित है। ये किताबें उसी जगह मिलेंगी, जिसका पता स्कूल बताता है। ये किताबें बाजार में किसी दुकान पर नहीं मिलेगी। नर्सरी की कई किताबें तो ऐसी हैं, जिनमें एक पेज पर केवल ए फॉर एपल ही लिखा है।
4937 रुपये की मिली पांचवीं की किताबें - देवेंद्र: अभिभावक देवेंद्र ने बताया कि उसका बेटा जगाधरी के एक निजी स्कूल में पांचवीं में गया है। स्कूल से उसे उस बुक सेलर का विजिटिंग कार्ड भी दिया गया, जहां से किताबें मिलनी हैं। स्कूल के सामने ही गली में किताबों का गोदाम था। वहां से किताबें ली तो पांचवीं का सेट 4937 रुपये का मिला।
अब तक किसी स्कूल पर कार्रवाई नहीं: एक अप्रैल से स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाएगा। स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया भी जोरों पर चल रही है, लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग ने किसी भी निजी स्कूल पर कार्रवाई नहीं की है, जबकि अधिकारियों को केवल स्कूल में जाकर छापामारी करनी है। उन्हें किताबों के ढेर दिख जाएंगे।