साभार: जागरण समाचार
पाकिस्तान में दो नाबालिग हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कर उनका निकाह करवाने वाले मौलवी को गिरफ्तार कर लिया गया है। खबरों के अनुसार इन नाबालिग हिंदू लड़कियों का पहले अपहरण किया गया इसके
बाद इस घटना को अंजाम दिया गया। इन दोनों नाबालिक लड़कियों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की बहावलपुर अदालत का दरवाजा खटखटाया है और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है। निकाह करवाने वाले मौलवी को सिंध में खानपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है। data:image/s3,"s3://crabby-images/097ef/097ef9b68c947ada6ef606dd3d67d019237a2460" alt="पाà¤à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ मà¥à¤ à¤à¤¬à¤°à¤¨ धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ à¤à¤¾ शिà¤à¤¾à¤° हिà¤à¤¦à¥ à¤à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पहà¥à¤à¤à¥ à¤
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बेटियों के बचाव में उतरी सुषमा: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार सुबह ही भारतीय समाचार पत्रों में छपी खबर का संज्ञान लेते हुए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुषमा स्वराज ने इस घटना के संबंध में मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए ट्वीट कर लिखा कि पाकिस्तान अपने नागरिकों खास तौर पर अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए।
सुषमा के ट्वीट के बाद मचा पाक में हंगामा: विदेश मंत्री स्वराज के इस ट्वीट के बाद पाकिस्तान में हंगामा मचा हुआ है। पाकिस्तानी मीडिया चैनल इसे अपना अंदरूनी मामला में हस्तक्षेप बता रहे है। सुषमा के ट्वीट का जवाब देते हुए पाक के संचार मंत्री चौधरी फवाद ने कहा 'ये पाकिस्तान का अंदरूनी मामला है, ये मोदी का भारत नहीं है कि अल्पसंख्यकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़े। उम्मीद है कि आप इतनी ही तत्परता भारतीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर भी दिखाई होती'
सुषमा ने पाक संचार मंत्री पर किया पलटवार: सुषमा ने फवाद के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा की महोदय, मैंने सिर्फ दो नाबालिग लड़कियों के अगवा होने और उनके जबरन निकाह कराने पर भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट मांगी है। यह आपको परेशान करने के लिए काफी था। यह आपका अपराध बोध दिखाता है।’ बता दें कि इस साल जनवरी में अनुषा कुमारी नाम की युवती का अपहरण कर मुस्लिम युवक से निकाह करा दिया गया।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने कहा कि वह अपने आगामी सत्र में पाक असेंबली में एक प्रस्ताव पेश करेगी ताकि जबरन धर्मांतरण को समाप्त किया जा सके। 2016 में सिंध विधानसभा द्वारा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ बिल को सर्वसम्मति से पारित किया गया लेकिन गवर्नर ने इसे मंजूरी नहीं दी थी।