साभार: जागरण समाचार
राजनीति और डॉक्टरी...यह दो पेशे ऐसे हैं, जिनमें मोहब्बत नहीं चलती...खासतौर से तब, जब राजनीति में एक-एक सीट जीतने का सवाल हो और डॉक्टरी में तब, जब मरीज की जान बचाने के लिए न चाहकर भी उसका
आपरेशन करना पड़े। हरियाणा में भाजपा की राजनीति कुछ इसी दौर से गुजर रही है। भाजपा हाईकमान की निगाह एक-एक सीट जीतने पर है। अपनी इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हाईकमान को मौजूदा सांसदों के टिकट काटने से भी परहेज नहीं है।
प्रदेश की दस लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भाजपा ने सिर्फ इसीलिए रोका है, ताकि दूसरे दलों की रणनीति भांपकर सिर्फ और सिर्फ जिताऊ उम्मीदवारों पर ही दांव खेला जा सके। राज्य में गठबंधन की राजनीति पूरी तरह से फेल हो चुकी है। ऐसे में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के ही साथ होने वाला है। सिरसा लोकसभा सीट पर भाजपा को इनेलो और हिसार में जननायक जनता पार्टी से सीधी टक्कर मिलने वाली है।
फरीदाबाद और गुरुग्राम ऐसी सीटें हैं, जहां उम्मीदवार फाइनल हैं। फरीदाबाद में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और गुरुग्राम में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ही भाजपा को जीत दिला सकते हैं। गुरुग्राम में हालांकि राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को लड़ाने की संभावनाओं पर भी विचार किया गया, लेकिन पार्टी राव की राजनीतिक ताकत को नजरअंदाज करने का कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में दक्षिण की एक दर्जन से अधिक सीटों पर राव की बदौलत भाजपा को जीत हासिल हुई है। लिहाजा इस बार भी पार्टी राव इंद्रजीत को पूरा वेटेज प्रदान करेगी।
राज्य में बड़ा पेंच करनाल और रोहतक लोकसभा सीटों पर फंसा हुआ है। पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा का पार्टी भरपूर इस्तेमाल करना चाहती है। लिहाजा उन्हें रोहतक में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने उतारा जा सकता है। यदि सोनीपत में कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को उतारती है तो यहां भी हुड्डा के सामने अरविंद शर्मा को खड़ा किया जा सकता है। शर्मा वजनदार नेता हैं और कांग्रेस की तमाम अंदरूनी रणनीति से वाकिफ हैं।
करनाल लोकसभा सीट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की खास रुचि है। सीएम करनाल हलके से विधायक हैं। यहां मौजूदा सांसद अश्विनी चोपड़ा का टिकट कटना तय है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी करनाल से टिकट मांग रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की पसंद संजय भाटिया और चंद्रप्रकाश कथूरिया दोनों हैं। संजय पानीपत के और कथूरिया करनाल के रहने वाले हैं। मुख्यमंत्री का एक हाथ संजय भाटिया के सिर पर तो दूसरा चंद्रप्रकाश कथूरिया के सिर पर है। दोनों ने ही अपनी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ा रखी हैं। यदि संजय भाटिया को टिकट नहीं मिलता तो सीएम के आशीर्वाद से चंद्रप्रकाश कथूरिया की टिकट तय है।
अंबाला में हालांकि मौजूदा सांसद रतनलाल कटारिया का टिकट पक्का माना जा रहा है, लेकिन हाईकमान ने प्रदेश इकाई को एक बार फिर उनके नाम पर विचार करने के संकेत दिए हैं। यहां किसी दूसरे मजबूत विकल्प की तलाश है। सिरसा लोकसभा सीट ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ मानी जाती है। यहां सुनीता दुग्गल का नाम चल रहा है, लेकिन भाजपा के अंदरूनी सर्वे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नजदीकी राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी का नाम भी प्रमुखता से चल रहा है। हालांकि गायक हंसराज हंस और वी कामराज के नाम भी चर्चा में हैं।
सोनीपत में मौजूदा सांसद रमेश कौशिक और भिवानी में धर्मवीर से अधिक वजनदार विकल्पों पर भी पार्टी में मंथन चल रहा है। यहां अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने टिकट मांगी है, लेकिन पार्टी के लिए गैर जाट राजीव जैन भी बड़ा चेहरा हो सकते हैं। कुरुक्षेत्र में भाजपा के सांसद राजकुमार सैनी बागी हो चुके। लिहाजा यहां भी जीतने वाला चेहरा मैदान में उतारा जाएगा।
हिसार लोकसभा सीट पर दुष्यंत चौटाला अथवा उनके परिवार के किसी भी सदस्य को टक्कर देने के लिए भाजपा के पास हालांकि रणबीर गंगवा हैं, मगर उनसे भी कद्दावर नेता की तलाश पार्टी को है। जरूरत पडऩे पर भाजपा हरियाणा सरकार में मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, अनिल विज और मनीष ग्रोवर पर भी दांव खेल सकती है।