Sunday, March 24, 2019

राजनीति को लेकर कितने 'गंभीर' हैं खिलाड़ी, पहले भी सियासी पिच पर खेल चुके हैं कई बड़े नाम

साभार: जागरण समाचार 
2011 विश्व कप विजेता भारतीय टीम के ओपनर गौतम गंभीर ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। माना जा रहा है कि जल्द ही उन्हें नई दिल्ली लोकसभा सीट से बतौर प्रत्याशी मैदान में
उतारा जा सकता है। गंभीर से पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवाब मंसूर अली खान पटौदी, नवजोत सिंह सिद्धू, मनोज प्रभाकर, विनोद कांबली, चेतन चौहान, मुहम्मद अजहरुद्दीन, कीर्ति आजाद, प्रवीण कुमार, लक्ष्मी रतन शुक्ला और मुहम्मद कैफ जैसे खिलाड़ी चुनावी मैदान में कूद चुके हैं। इसमें सिद्धू, चेतन, लक्ष्मी रतन शुक्ला, अजहर और कीर्ति ने सत्ता सुख भी भोगा।
राजनीति को लेकर कितने 'गंभीर' हैं खिलाड़ी, पहले भी सियासी पिच पर खेल चुके हैं कई बड़े नामबाकी खेलों की बात करें तो भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया, ओलंपिक रजत पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौर, विश्व कप विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे असलम शेर खान, बास्केटबॉल खिलाड़ी कलिकेश नारायण सिंह देव, 25 साल तक सांसद रहे पूर्व निशानेबाज कर्णी सिंह और 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया ने भी राजनीति में दांव-पेच दिखाए हैं।
राज्यवर्धन मोदी सरकार में खेल मंत्री हैं तो पूनिया 2013 की हार को भुलाते हुए पिछले साल राजस्थान की सादुलपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल कर कांग्रेस की विधायक बनीं। भूटिया ने 2014 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए। पिछले साल उन्होंने हमरो सिक्किम नाम की पार्टी बनाई जो सिक्किम में चुनाव लड़ेगी।
नवजोत सिंह सिद्धू: नवजोत सिंह सिद्धू 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने अमृतसर से आम चुनाव लड़ा और जीता। 2016 में उन्हें पंजाब से राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देकर पार्टी छोड़ी दी और 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए। इस समय वह पंजाब सरकार में पर्यटन, सांस्कृतिक मामलों और संग्रहालयों के मंत्री हैं। 
कीर्ति आजाद: 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद 1993 से 1998 तक दिल्ली विधानसभा में भाजपा के विधायक रहे। साल 1999 में दरभंगा लोकसभा सीट पर भाजपा की तरफ से चुनाव लड़कर वह सांसद बने। इसके बाद 2009 और 2014 में इस चुनाव क्षेत्र से उन्होंने जीत दर्ज की। कीर्ति आजाद के पिता भागवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2015 में भाजपा से निष्कासित होने के बाद फरवरी 2019 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
विनोद कांबली: विनोद कांबली लोक भारती पार्टी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने लोक भारती पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मुंबई के विक्रोली से 2009 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली।
मुहम्मद कैफ: कैफ ने 2014 में कांग्रेस का दामन थामा और उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव लड़ा, लेकिन उनको भी हार का सामना करना पड़ा।
चेतन चौहान: चेतन चौहान ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उत्तर प्रदेश के अमरोहा से 1991 और 1998 में लोकसभा चुनाव जीता। 1981 में अजरुन पुरस्कार जीतने वाले चेतन को 1996, 1999 और 2004 में हार का भी सामना करना पड़ा था। चेतना इस समय उत्तर प्रदेश सरकार में युवा और खेल मंत्री हैं।
मुहम्मद अजहरुद्दीन: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और इसी साल उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से लोकसभा चुनाव जीते। हालांकि 2014 में मोदी लहर में वह चुनाव हार गए।
प्रवीण कुमार: प्रवीण कुमार भी राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं। प्रवीण ने 2016 में सपा की सदस्यता ली, लेकिन चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि, बाद में उन्होंने इसको अटकल बताया।
मनोज प्रभाकर: मनोज प्रभाकर ने 1998 में नई दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा और हार गए। 
मंसूर अली खान पटौदी: पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान पटौदी ने 1971 में राव बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली विशाल हरियाणा पार्टी के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद 1991 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर भोपाल से आम चुनाव लड़ा, लेकिन वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।