विदेश जाने के इच्छुक केंद्रीय कर्मचारियों को
संबंधित अधिकारियों की तरफ से अब 21 दिनों के भीतर अनुमति मिलेगी। आवेदन
करने के 21 दिनों के भीतर अगर अनुमति नहीं मिलती है तो यह माना जाएगा कि
स्वीकृति मिल चुकी है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा जारी
नए निर्देश में कहा गया है कि ऐसे किसी आवेदन को सिर्फ विभाग का प्रमुख ही
नामंजूर कर सकता है। डीओपीटी ने कहा है, ‘यह
सुनिश्चित किया जा
सकता है कि संबंधित अधिकारियों को आवेदन भेजने के 21
दिनों के भीतर सरकारी कर्मचारियों को निर्णय से अवगत करा दिया जाए। अगर
संबंधित अधिकारी किसी कारण से आवेदन प्राप्त होने के 21 दिनों के भीतर
सरकारी कर्मचारी को निर्णय नहीं दे पाता है तो यह माना जाएगा कि उसे अनुमति
मिल चुकी है।’ विभाग में विशेष तरह के
काम, प्रशासनिक मजबूरियां या सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध कुछ प्रतिकूल
परिस्थितियों आदि के कारण अगर अनुमति देना उचित नहीं है तो ऐसे नामंजूरी का
निर्णय विभाग के प्रमुख से नीचे के अधिकारियों द्वारा नहीं लिया जाना
चाहिए। डीओपीटी ने कहा है, ‘हालांकि, ऐसी
अनुमति देने से पहले कई बातों पर गौर करने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर
सुरक्षा मामलों को देखते हुए अनुमति देने से इंकार किया जा सकता है। अगर
किसी व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगे हैं या किसी मामले की जांच चल रही है और जो
पुलिस की पूछताछ या जांच से बचने के प्रयास कर सकता है, उसे देश छोड़ने की
अनुमति नहीं मिल सकती है। दूसरी तरफ, यह भी वांछनीय है कि सरकारी कर्मचारियों के ऐसे आवेदनों पर उचित तरीके से विचार करते हुए शीघ्र अनुमति दी जाए।’
क्या है मौजूदा नियम: नियमों
के मुताबिक, अगर कोई सरकारी कर्मचारी निजी यात्रा पर विदेश जाना चाहता है
तो वह छुट्टी का आवेदन करता है। इसके अलावा उसे ऐसी यात्रा के लिए सक्षम
अधिकारियों से पहले अनुमति भी लेनी होती है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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