सुप्रीमकोर्ट ने हिजाब पहन कर ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआइपीएमटी)
परीक्षा देने की मुस्लिम संगठन और तीन छात्रओं की अपील ठुकरा दी। कोर्ट ने
परीक्षा में भाग लेने के लिए जारी सीबीएसई ड्रेस कोड में दखल देने से साफ
इन्कार कर दिया। कहा कि इन छोटी-छोटी चीजों के बारे में आदेश नहीं दिया जा
सकता। धार्मिक विश्वास और किसी विशेष तरह के वस्त्र पहनने में फर्क है। सुप्रीमकोर्ट ने गत 15 जून को नकल और
अनियमितताओं के आरोप पर मेडिकल के
एमबीबीएस व डेंटल पाठ्यक्रमों की एआइपीएमटी परीक्षा रद कर दी थी और नए सिरे
से परीक्षा कराने का आदेश दिया था। सीबीएसई ने परीक्षा में शामिल होने के
लिए ड्रेस कोड जारी किया है जिसके मुताबिक परीक्षा में भाग लेने वाले पूरी
बाहों के वस्त्र, बड़ी बटन वाले वस्त्र और सिर पर स्कार्फ नहीं पहनेंगे। ना
ही किसी तरह की हेयर पिन का इस्तेमाल करेंगे। मुस्लिम संगठन स्टूडेंट
इस्लामिक आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया व तीन छात्रओं मरियम नसीम, शहाना बानो और
आयशा खान ने डेस कोड को धार्मिक मान्यता के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी थी।
शुक्रवार को याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने डेस कोड रद करने की मांग
करते हुए कहा कि इससे संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का
हनन होता है।
‘सिर्फ एक दिन और तीन घंटे की ही तो बात है। अगर तीन घंटे की
परीक्षा बगैर स्कार्फ के दे दी तो उससे धार्मिक आस्था पर आंच नहीं आ
जाएगी।’-सुप्रीम कोर्ट
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण
समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our
Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR
for other important updates from each and every field.