प्रदेश के सरकारी स्कूलों के दरवाजे नौकरी से हटाए जा चुके कंप्यूटर
शिक्षकों के लिए एक बार फिर खुल सकते हैं। लंबे आंदोलन को देखते हुए सरकार
बीच का रास्ता निकालने में जुट गई है। उनको डीसी रेट व पुराने सिस्टम के
तहत ही रखने पर भी विचार किया जा रहा है। बृहस्पतिवार को शिक्षकों के पांच
सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव से दो घंटे तक
वार्ता हुई। इसमें शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने सहित अनेक
बिंदुओं पर चर्चा
की गई। बैठक का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकल पाया, लेकिन शिक्षकों के दिन
फिरने की उम्मीद दिखाई दे रही है। शुक्रवार को कंप्यूटर शिक्षकों के
प्रतिनिधिमंडल की फिर मुख्यमंत्री के ओएसडी से वार्ता होगी। इसमें शिक्षकों
के अनुबंध के नियम व शर्तो को लेकर भी सहमति बनाई जाएगी। शिक्षकों को वेतन
देने पर भी पेंच फंस रहा है। पहले शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारियों के
मार्फत वेतन दिया जाता था। अब वेतन की अदायगी किस प्रकार होगी, ये भी तय
किया जाएगा। शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कंप्यूटर शिक्षक वेलफेयर
संघ के प्रधान बलराम धीमान ने की। इसमें सुरेश नैन, दिवाकर शर्मा, निर्मल
गौतम व गीता शामिल रहे। बृहस्पतिवार को शिक्षकों ने कोई रास्ता निकलता न
देख दिन में खून से मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इच्छा मृत्यु की मांग की।
शिक्षक बीते 15 दिन से आमरण अनशन पर हैं और तीन दिन से सरकारी अस्पताल में
इलाज भी नहीं करा रहे। इससे तीन शिक्षकों की सेहत काफी बिगड़ गई है।
शिक्षकों ने सरकार की ओर से कोई कदम न उठाने पर ही नम आंखों के साथ इच्छा
मृत्यु के लिए पत्र लिखा। सेहत बिगड़ने के बावजूद आमरण अनशन कर रही रजिया
सुलतान ने कहा कि कभी सोचा भी न था सरकार इतनी अमानवीय हो सकती है।
शिक्षकों के मुख्यमंत्री को खून से लिखा पत्र भेजने के बाद ही सरकार हरकत
में आई और शाम पांच बजे वार्ता के लिए बुलाया।
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साभार: जागरण
समाचार
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