आरोप-प्रत्यारोप भले आज भी जारी हों लेकिन हरियाणा लोक सेवा आयोग ने 2009
एवं 2011 की एचसीएस भर्ती में किसी भी गड़बड़ी से साफ इंकार कर दिया है। एक
आरटीआइ के संदर्भ में दिए गए इस जवाब की एक-एक कॉपी मुख्य सचिव व
प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी गई है। अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार को भी इस मामले में क्लीनचिट दे
दी गई है। गौरतलब है कि हुड्डा के कार्यकाल में सन्
2009 और 2011 में
एचसीएस अधिकारियों की भर्ती हुई थी। इस भर्ती में मंत्रियों और विधायकों के
61 नाते- रिश्तेदारों को नौकरी देने का आरोप लगा था। किस उम्मीदवार का किस
मंत्री व विधायक से क्या संबंध है, इसकी सारी जानकारी के साथ मीडिया में
भी खबरें छपी थीं। लेकिन जांच के नाम पर न तो आज तक कभी एसआइटी गठित हुई, न
ही कोई और प्रक्रिया अपनाई गई। कैथल के आरटीआइ कार्यकर्ता सीए सतीश सिंघल
ने 20 मई 2015 को इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर
जांच कराने का अनुरोध किया था। पीएमओ से इस बाबत 15 जून 2015 को एक पत्र
क्रमांक 785/पीएमओ/2015-2 जारी कर सूबे के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया
गया। मुख्य सचिव ने एचपीएससी सचिव से जवाब मांगा। जानकारी के मुताबिक
एचपीएससी के सचिव ने 9 जुलाई को मुख्य सचिव और पीएमओ दोनों को ही जवाब भेज
दिया। 1जवाब की एक प्रति आरटीआइ कार्यकर्ता को भी मिली है, जिसके मुताबिक
पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के कार्यकाल में एचपीएससी की ओर से दो ही
परीक्षाएं ली गई थीं। दोनों की ही प्रक्रिया पारदर्शिता व हरियाणा लोक सेवा
आयोग के भर्ती नियमों 2008 के मुताबिक पूर्ण की गई थी। इस दौरान एचपीएससी
पर न तो राजनीतिक दबाव था और न ही कुछ ‘खास’ लोगों को लगाए जाने की
सिफारिश। इस जवाब के साथ साथ 2011 की परीक्षा के कुछ दस्तावेज भी संलग्न
किए गए हैं।
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साभार: जागरण
समाचार
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