मेडिकल, इंजीनियरिंग और एमबीए जैसे पेशेवर कोर्स में दाखिला लेने के लिए
डोनेशन देने और लेने वाले लोगों पर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलेगा। सरकार
भ्रष्टाचार निरोधक कानून में बदलाव कर सकती है जिसके बाद डोनेशन लेने और
देने वाले लोगों पर नकेल कसना आसान हो जाएगा। इसके अलावा आयकर विभाग भी
भारी भरकम डोनेशन लेने वाले निजी शिक्षण संस्थानों पर नजर रख रहा है। विभाग
ऐसे संस्थानों की रिपोर्ट तैयार
कर न सिर्फ खुद कार्रवाई करेगा बल्कि
दूसरी संबंधित जांच एजेंसियों से भी साझा करेगा। सूत्रों ने कहा कि
भ्रष्टाचार निरोधक कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत डोनेशन लेने वाले
व्यक्ति के खिलाफ तभी भ्रष्टाचार का मामला चल सकता है जब उसे पब्लिक सर्वेट
यानी जन सेवक माना जाए। इसलिए ऐसे मामलों को रोकने के लिए भ्रष्टाचार
निरोधक कानून में बदलाव जरूरी है। इससे निजी शैक्षिक संस्थाओं में डोनेशन
के ऐवज में दाखिले की मौजूदा प्रवृत्ति को रोकने में मदद मिलेगी। इस संशोधन
के बाद डोनेशन लेने और देने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। देशभर
में हर साल निजी शैक्षिक संस्थानों में कितनी डोनेशन दी जाती है इसका कोई
आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है लेकिन एक गैर सरकारी संस्था की रिपोर्ट से इसका
अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। मुंबई स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड
प्रीवेंशन ऑफ कंप्यूटर क्राइम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल
शिक्षा जगत से 48,400 करोड़ रुपये काला धन सृजित होता है। शिक्षण संस्थानों
में डोनेशन का सिलसिला केजी से शुरू होता है और पीजी तक चलता है। सूत्रों ने कहा कि फिलहाल आयकर विभाग डोनेशन के मामलों की जांच कर रहा है। जांच
पूरी होने पर विभाग इसकी जानकारी संबंधित एजेंसियों के साथ भी साझा करेगा।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कालेधन की जांच कर रही एसआइटी ने
भी शैक्षिक संस्थानों तथा धमार्थ संस्थाओं के जरिए देश में कालाधन सृजित
होने की ओर ध्यान दिलाते हुए सरकार से इस दिशा में कार्रवाई करने की
सिफारिश की है।
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साभार: जागरण
समाचार
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