हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में सेटेलाइट के जरिए एजुकेशन (एजुसेट) का सपना
साकार नहीं हो रहा। कॉलेजों में भी एजुसेट सिस्टम स्कूलों की तरह ही अपसेट
हैं। शिक्षा विभाग कॉलेजों में सेटेलाइट एजुकेशन के लिए खानापूर्ति कर हर
साल टाइम टेबल जारी करता आ रहा है। इस बार भी एजुसेट से पढ़ाए जाने वाले
विषयों की समय सारिणी जारी कर दी गई, लेकिन डिब्बों में बंद पड़े एजुसेट की
ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। प्रदेश में
खराब पड़े एजुसेट सिस्टम डिजिटल
हरियाणा की राह में सबसे बड़ी बाधा है। शैक्षणिक सत्र 2015-16 फिर सेटेलाइट
एजुकेशन का हश्र बीते सालों वाला होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता
है। प्रदेश के जिन कॉलेजों में एजुसेट कभी-कभी चलते हैं, उनमें इंटरनेट का
कमजोर सिग्नल होने के कारण स्क्रीन आधी दिखाई देती है। टाइम टेबल में
अंग्रेजी की कक्षा का समय है तो पंचकूला से सेटेलाइट के जरिए पढ़ाई गणित की
कराते हैं। अन्य विषयों की समय सारिणी में भी ऐसी दिक्कतें रहती हैं।
शिक्षा निदेशालय का डंडा चलने पर ही कॉलेज प्रबंधन एजुसेट सिस्टम को चलाता
है। वैसे ये पूरा साल कबाड़ में पड़े रहते हैं। बीते दिनों निदेशालय ने 14
जिलों के 38 कॉलेजों से एजुसेट के माध्यम से हुई पढ़ाई का ब्योरा मांगा था,
जिसे देने में प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गए। सिस्टम के खराब होने के कारण
कॉलेजों में नियमित तौर पर सेटेलाइट एजुकेशन की कक्षाएं नहीं लगतीं।
निदेशालय की ओर से जारी समय सारिणी फाइलों में पड़ी रहती है। उच्च शिक्षा
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजयवर्धन ने इस बार के टाइम टेबल के साथ
कक्षाएं नियमित तौर पर लगाने का पत्र भी भेजा है। इस पर कितना अमल होता है,
ये निदेशालय की निगरानी पर निर्भर करेगा। एजुसेट ठीक कराए बिना और कॉलेज
प्रबंधन की मर्जी के सेटेलाइट एजुकेशन को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता।
सरकारी स्कूलों में भी 550 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित एजुसेट सिस्टम
स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण ही खराब पड़े हैं।
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साभार: जागरण
समाचार
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