मनोहर सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले वरिष्ठ मंत्री प्रो. रामबिलास
शर्मा मंत्रिमंडल में रुतबा कम किए जाने से नाराज और आहत हैं। रामबिलास ने
कैबिनेट विस्तार के बाद दो विभाग कम किए जाने पर सीधे तो कुछ नहीं बोला पर
बातों ही बातों में मन की पीड़ा जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि वे तो
शिक्षा विभाग भी देने को तैयार थे, लेकिन कोई ग्राहक ही नहीं मिला। इसका
मतलब साफ है कि परिवहन और खाद्य एवं आपूर्ति
विभाग वापस लेने से वे आहत
हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग देने की पेशकश हालांकि उन्होंने खुद का
बड़प्पन दिखाते हुए पहली मीटिंग में ही कर दी थी। मंत्रिमंडल विस्तार के
बाद विभाग वितरण में पेंच वरिष्ठ मंत्रियों के अपने अहम महकमे न छोड़ने से
ही फंसा हुआ था। रामबिलास खाद्य एवं आपूर्ति विभाग देने को तो तैयार थे पर
परिवहन विभाग नहीं छोड़ना चाहते थे। बावजूद इसके उनसे दोनों ही विभाग वापस
ले लिए गए और कोई महकमा भी नहीं दिया गया, इसलिए उन्हें पीड़ा महसूस हो रही
है। उनकी पीड़ा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि आइएएस अशोक खेमका से हुए विवाद
के बाद परिवहन विभाग को वापस लिए जाने का गलत संदेश प्रचारित किया जा रहा
है। शिक्षा विभाग छोड़ने का उनका दावा भी मन की टीस हो ही दर्शाता है।
भाजपा सरकार के लिए शिक्षा व परिवहन ही ऐसे विभाग हैं, जो सत्ता में आने से
लेकर अब तक सिरदर्द बने हुए हैं। परिवहन व शिक्षा विभाग के कर्मचारी ही
सड़कों पर हैं। शर्मा व खेमका के बीच तनातनी को लेकर भी परिवहन विभाग
सुर्खियों में रह चुका है। शिक्षा विभाग के अनुबंध कर्मी तो इस समय भी बड़ी
संख्या में आंदोलनरत हैं। ऐसे में रामबिलास शर्मा के शिक्षा विभाग छोड़ने
को तैयार होने के बयान के कई
मायने हैं।
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साभार: जागरण
समाचार
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