साभार: भास्कर समाचार
16 जुलाई को हुए हरियाणा सिविल सर्विसिस (एचसीएस) ज्युडीशियल ब्रांच के पेपर लीक मामले में वीरवार को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानवलकर और जस्टिस डी वाई
चंद्रचूड़ की बेंच ने इसे आपराधिक मामला मानते हुए स्वतः: संज्ञान लेकर केस को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करते हुए मामले पर 20 नवंबर के लिए सुनवाई तय की है। वर्ष 2017 में खुद संज्ञान लेते हुए क्रिमिनल केस को ट्रांसफर पिटिशन के रूप में लेने का सुप्रीम कोर्ट में यह इस साल का पहला मामला भी है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच के पास इस मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को विचाराधीन है। हाईकोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले में 20 सितंबर को केस दर्ज किया था। हाईकोर्ट के आदेशों पर ही इस मामले में तीन सदस्यीय स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) एसपी रवि कुमार सिंह, डीएसपी कृष्ण कुमार और इंसपेक्टर पूनम दिलावरी की टीम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जांच देने या पार्टी बनाए जाने की मांग को खारिज कर दिया था। दूसरी तरफ चंडीगढ़ प्रशासन के पब्लिक प्रोसीक्यूटर आरएस राय ने कहा था कि रेड के लिए बड़ी टीम की जरूरत होती है। ऐसे में दूसरे पुलिस कर्मियों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। हाईकोर्ट ने इस मांग को भी मंजूर करते हुए कहा कि तीन सदस्यीय टीम के बीच ही जांच रखने को कहा था। हाईकोर्ट की फुल बेंच की तरफ से पूछे जाने पर एसआईटी ने कहा था कि उन्हें जांच के लिए तीन माह का समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि फिलहाल एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की जाए। तीन सप्ताह का समय प्रारंभिक जांच के लिए दिया जा रहा है। इसके बाद इसे समय समय पर रिव्यू कर लिया जाएगा। पिंजौर निवासी वकील सुमन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले में एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। याची के अनुसार डेढ़ करोड़ में पेपर बिक रहा था और इसकी उसे भी पेशकश की गई थी। परीक्षा के लिए याची ने भी आवेदन किया था।