प्रत्येक इंडस्ट्री के विस्तार में विभिन्न प्रकार की तकीनीकों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन इन सभी तकनीकों के पीछे रिसर्च और डेवलपमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बड़े शिक्षण संस्थानों में भी रिसर्च पर
जोर दिया जा रहा है। ऐसे में इसमें प्रोफेशनल की मांग बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार रिसर्च एंड डेवलपमेंट में 2020 के अंत तक 1 लाख 20 हजार नए प्रोफेशनल की जरूरत होगी। विभिन्न क्षेत्रों के रिसर्च एंड डेवलपमेंट आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में इस क्षेत्र पर 2014 में करीब 62 अरब डॉलर खर्च किए जाते थे, जबकि 2016 के अंत तक यह बढ़कर 71.50 अरब डॉलर हो गया। वहीं इसमंे काम करने वाले लोगों के मामले में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की देशभर में 38 लैबोरेटरी हैं। सरकार द्वारा भी इस ओर कई प्रयास किए जा रहे हैं। रिसर्च में स्टार्टअप को सपोर्ट करने के लिए अगले चार वर्षों में 30 अरब डॉलर के खर्च से 100 इंक्यूबेटर स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी में अच्छे ग्रेड से बीटेक करने वाले छात्रों को सीधे पीएचडी कोर्स में प्रवेश दिया जा रहा है।
लड़कियोंको प्रोत्साहित करने के लिए योजना: इसीवर्ष लड़कियों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर प्रोत्साहित करने के लिए 297.50 अरब डॉलर के खर्च से पायलट प्रोग्राम इंट्रोड्यूस किया है। इसमें साइंस के क्षेत्र में रुचि रखने वाली एक लाख लड़कियों को शामिल किया जाएगा।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोफेशनल को स्पेसिफिक क्षेत्र में शोध करना होता है। प्रत्येक क्षेत्र में काम अलग-अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए फार्मा के क्षेत्र में शोधकर्ता किसी बीमारी के इलाज या दवाई पर शोध करते हैं। जबकि सॉफ्टवेयर और इंटरनेट के क्षेत्र में सर्चिंग तकनीक को बेहतर बनाने पर शोध किया जाता है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट बाजार में सबसे ज्यादा भागीदारी भी सॉफ्टवेयर और इंटरनेट की ही है।
- सॉफ्टवेयर और इंटरनेट: आईटी,सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग या इससे संबंधित मास्टर डिग्री कोर्स करने के बाद छात्र रिसर्च कोर्स कर सकते हैं। वर्तमान में सर्च इंजन तकनीक को बेहतर करने और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में कई प्रकार के शोध किए जा रहे हैं। रिसर्च कोर्स में प्रवेश के लिए गेट या नेट का स्कोर जरूरी होता है। कुछ संस्थान खुद का एंट्रेंस टेस्ट भी अायोजित करते हैं।
- इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्राॅनिक्स: इलेक्ट्रॉनिकउत्पादों के बाजार के लिहाज से इसमें कई प्रकार के रिसर्च प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स के बीई, बीटेक या बीएससी कोर्स में प्रवेश लेना होता है। इसके बाद छात्र एमटेक या एमएससी कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं। मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद छात्रों पीएचडी कोर्स में प्रवेश मिल सकता है।
- टेलीकॉम और नेटवर्किंग: 4जी तकनीक आने के बाद इसके आगे 5जी और नेटवर्किंग बेहतर बनाने के लिए रिसर्च की जा रही है। इसमें छात्रों को मोबाइल तकनीक को समझना होता है। इससे संबंधित कोर्स देशभर के विभिन्न संस्थानों में होते हैं। इलेक्ट्रिकल आैर इलेक्ट्रॉनिक्स से इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों के लिए इसमें कॅरिअर के अवसर हैं।
- फार्मास्युटिकल: देशही नहीं विश्वभर में बीमारियों की इलाज के लिए दवाइयों पर शोध हो रहे हैं। बायोलाॅजी बैकग्राउंड वाले छात्र इसमें कॅरिअर बना सकते हैं। दवा उद्योग में नकली दवाओं की टेस्टिंग से लेकर मॉलिक्यूल्स पर शोध होते हैं। ऐसे में इसमें अवसर भी ज्यादा होते हैं। रिसर्च में काम करने के लिए कम से कम मास्टर डिग्री जरूरी होती है।
स्पेसिफिक फील्ड में काम के अवसर: संबंधित विषयों से कोर्स कर चुके छात्रों को विभिन्न कंपनियों रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में जॉब के अवसर होते हैं। फॉर्मास्युटिकल में रिसर्च में कोर्स कर चुके छात्र दवाइयां बनाने वाली कंपनियों या सरकारी लैबोरेटरी में जाॅब कर सकते हैं। वहीं सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में प्रोफेशनल के लिए विभिन्न तकनीक विकसित करने वाली कंपनियों, सॉफ्टवेयर कंपनियों में जॉब के मौके हैं। इसी प्रकार टेलीकॉम तकनीक विकसित करने वाली कंपनियों में स्पेसिफिक कोर्स कर चुके छात्र जॉब कर सकते हैं। इसके अलावा छात्रों के लिए शिक्षण संस्थानों मंे भी जॉब के