नोबेल विजेता वेंकटरमण रामाकृष्णन ने भारत को मांस पर बहस छोड़ शिक्षा पर ध्यान देने की सलाह दी है। भारतीय मूल के वेंकी ने कहा कि भारत को 'कौन कैसा मांस खाता है', इस पर सांप्रदायिक द्वेष पालने की बजाय
विज्ञान और तकनीक की शिक्षा पर इन्वेस्ट करना चाहिए। अगर वह इनोवेशन, विज्ञान, तकनीक में निवेश नहीं करेगा तो चीन से रेस में पीछे छूट जाएगा।' वेंकट रामाकृष्णन को 2009 में राइबोसोम की संरचना पर उनके शोध के लिए कैमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार मिला था। रामाकृष्णन ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कहा, 'भारत चीन से पहले ही काफी पिछड़ गया है। अगर आप 50 साल पहले दोनों देशों को देखें तो दोनों की तुलना हो सकती थी। तब भारत चीन से थोड़ा बेहतर ही कहा जा सकता था। पर अब ऐसा नहीं है।' हालांकि, रामाकृष्णन ने अपने भाषण में किसी घटना का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा, 'मैं आज भारत में एक बड़ी समस्या देखता हूं और वह मामूली बातों पर सांप्रदायिक झगड़ा होना है। इसकी बजाय भारतीयों को ज्यादा सहिष्णु होने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें देश को आधुनिक बनाने के लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो हम पिछड़ते जाएंगे।' रामाकृष्णन ब्रिटेन की मशहूर रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं। रामाकृष्णन ने कहा, 'कौन किस तरह का मांस खाता है? इसे लेकर होने वाली तमाम तरह की सांप्रदायिक हिंसा और समुदायों के बीच धार्मिक विद्वेष देश के लिए नुकसानदायक हंै। जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे खुद को बहुत देशभक्त समझ रहे होंगे, पर वे देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। या तो वे इतने अज्ञानी हैं कि यह समझ नहीं पा रहे कि वे क्या कर रहे हैं या फिर वे जानते हैं कि क्या कर रहे हैं और हर कीमत पर इसे करना चाहते हैं।' रामाकृष्णन ने कहा कि भारत जैसे देश तब तक प्रगति नहीं कर सकते, जब तक कि वे विज्ञान में निवेश करें। छात्रों को गणित, भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान के अलावा साहित्य, इतिहास और कला इत्यादि का भी ज्ञान होना चाहिए। ध्यान रखें, ऐसे देश भी हैं जिनके पास संसाधन काफी हैं, लेकिन वे ज्ञान के अभाव के चलते पिछड़े हुए हैं। दूसरी ओर, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड जैसे देश संसाधनों के मामले में कमतर हैं। पर ज्ञान के दम पर विकसित बने हुए हैं।
वेंकी ने कहा कि भारत आधुनिकता और उद्याेगों के मामले में चीन से काफी पिछड़ गया है। चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में काफी आगे बढ़ चुका है। वे अब रोबोटिक्स में इन्वेस्ट कर रहे हैं। वे नवीनीकृत ऊर्जा में निवेश कर रहे हैं। ये वह चीजें हैं, जो भविष्य में बड़ा में अंतर पैदा करने वाली हैं। यदि भारत समय रहते सतर्क नहीं होता है, तो इसमें कोई शक नहीं कि वह बहुत पीछे छूट जाएगा। इसलिए जरूरी है कि हम व्यर्थ के विवादों में पड़ने की बजाय शिक्षा पर ध्यान दें।