साभार: भास्कर समाचार
डेरा बाबा गुरमीत राम रहीम की संपत्ति को लेकर डेरे के अनुयायी दो फाड़ होने लगे हैं। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक शाह मस्ताना के समय साधु बने करीब एक दर्जन लोगों ने कहा है कि हमारा राम रहीम से कोई लेना
देना नहीं है, हम शाह मस्ताना के परम अनुयायी हैं और जीवनपर्यंत रहेंगे। इसलिए शाह मस्ताना जी के समय बनाए गए डेरों में हमें सत्संग की अनुमति हो और उनकी प्रॉपर्टी को अटैच न किया जाए। मस्ताना के अनुयायी जोगेंद्र सिंह और गुरदयाल सिंह ने 'दैनिक भास्कर' को बताया कि शाह मस्ताना ने सिरसा जिले के अलावा राजस्थान और पंजाब में विभिन्न जगहों पर करीब डेढ़ दर्जन से अधिक आश्रमों की स्थापना की थी। इसलिए हमने अदालत में यह आश्रम अटैच न करने की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि हमने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अगर डेरे की संपत्ति अटैच करना है तो राम रहीम के डेरा प्रमुख रहते वर्ष 1990 के बाद की संपत्तियों को अटैच किया जाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 1960 के बाद डेरा से संंबंधित जितने भी डेरे या डेरा की प्रोपर्टी बनाई गई है उससे शाह मस्ताना जी के अनुयायियों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने बताया कि शाह मस्ताना जी के पुराने अनुयायियों की संख्या करीब पांच हजार से अधिक है। पंचकूला अन्य जगहों पर हुई हिंसा आगजनी से हमें ठेस लगी है।
सिरसा की बेगू रोड पर डेरा सच्चा सौदा का पुराना आश्रम, गांव नेजियाखेड़ा में सतलोकपुरा आश्रम के अलावा सिरसा जिले के गांव कंवरपुरा, रामपुरा बगड़ियान, बिज्जूवाली, घुक्कांवाली, गदराना, चोरमार, रामपुर थेहड़ी, लक्कड़ांवाली, रानियां, जलालआणा सहित गंगवा (हिसार), एमपी रोही (फतेहाबाद) के अलावा पंजाब के बठिंडा जिले के गांव खैराखुर्द में शाह मस्ताना ने वर्ष 1948 से मार्च 1960 तक स्थापित किए थे। शाह मस्ताना का देहांत 18 अप्रैल 1960 को हुआ था।
मस्ताना के इन अनुयायियों ने किया बाबा का विरोध: फतेहाबाद जिले के एमपी रोही गांव के जोगेंद्र सिंह, भाल सिंह, बलवंत सिंह अौर फतेहाबाद के ही भागीरथ के अलावा सिरसा जिले के गांव घुक्कांवाली से गुरदयाल सिंह, गाेरा गुरमुख सिंह, रानियां से कृपाल सिंह, पंजाब के मलोट से रोशन लाल, राजस्थान के श्रीगंगानगर और रायसिंह नगर से अमर सिंह, महेंद्र सिंह, नंदलाल और अजमेर सिंह शामिल हैं।