हाल ही में हरियाणा सरकार ने सरकारी क्षेत्र के लिए न्यूनतम वेतन 14.29 फीसदी बढ़ाने की घोषणा की। इससे पहले केंद्र सरकार कोड ऑन वेजेस 2017 को मंजूरी दे चुकी है। सरकार बिल को लोकसभा में पेश कर चुकी है।
हालांकि हाल ही में केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि उसका कोई भी इरादा मिनिमम वेजेस (न्यूनतम मानदेय) 10 से बढ़ाकर 18 हजार करने का नहीं है। देश में मिनिमम वेजेस को बढ़ाने के संबंध में लगातार चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर न्यूनतम वेजेस बढ़े तो शॉर्ट टर्म (एक वर्ष) में 10 से 15% और लॉग टर्म (2 वर्ष से अधिक) में 30% तक जॉब कम हो जाएंगे। इंडस्ट्री खासतौर पर छोटे उद्योग वित्तीय प्रभाव को लेकर चिंतित है। ज्यादा प्रभाव इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑयल, स्टील, माइनिंग, ऑटो, टैक्सटाइल जैसे क्षेत्र पर पड़ेगा। एक्सपर्ट्स ने बताया कि अगर वेतन 10 हजार से बढ़कर 18 हजार होता है तो उद्योग तेजी से मशीनीकरण (ऑटोमेशन) की ओर जाएंगे। रोजगार क्षेत्र में कार्य करने वाली देश की प्रमुख कंपनी टीमलीज की वाइस प्रेसीडेंट सोनल अरोरा कहती हैं कि सीधे 80 फीसदी वेतन बढ़ने से कंपनियों की ओवरआॅल कॉस्ट बढ़ेगी। ऐसे समय में जबकि सरकार से उद्योग रियायत की मांग कर रहे हंै यह कदम उद्योगों की मुश्किलेें बढ़ाएगा। अगर ऐसा होता है तो शॉर्ट टर्म में 10 से 15 फीसदी और लॉग टर्म में 30 फीसदी तक जॉब कम हो जाएंगे। हालांकि नौकरियों की संख्या में कमी पूरे देश में एक समान नहीं हो सकती, साथ ही इससे वे राज्य ज्यादा प्रभावित होंगे जहां वेतन कम हैं। मुख्यरूप से ऑयल, माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटो, टैक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में विपरीत असर होगा। उन्होंने कहा कि मेरी राय में आईटी क्षेत्र को इससे बहुत कम असर होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में कर्मचारियों का वेतन न्यूनतम सीमा से ज्यादा है। इंफ्रा-कंस्ट्रक्शन में 20 फीसदी तक और ऑयल-खनिज क्षेत्र में 30 फीसदी तक कुल खर्च का वेतन पर खर्च होता है।
श्रम मंत्रालय के पूर्व सचिव और वेज कोड बिल पर लंबे समय तक काम करने वाले शंकर अग्रवाल ने कहा कि वेज कोड बिल का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में न्यूनतम वेज सीमा तय करना है, जिससे कि राज्य इससे कम दर तय कर सकें। तीन की जगह परिवार की गणना पांच किए जाने की बात शामिल की गई। फिलहाल तीन यूनिट मानने का आधार पति-पत्नी और दो नाबालिग बच्चों को मिलाकर एक यूनिट मानकर की जाती है। लेकिन परिवार में मां-पिता अहम सदस्य हैं, इसलिए उन्हें भी अब शामिल किया जाएगा।
वहीं भारतीय मजदूर संघ के प्रेसीडेंट बैजनाथ राय ने कहा कि केंद्र सरकार मिनिमम वेजेस को लेकर लगता है, मजाक कर रही है। पहले नोटिफिकेशन आया, जिसमें न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए थी, दूसरी बार जब आया तो 24 हजार की बात आई। मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा तक नहीं हुई, यह सरकार की प्राथमिकता भी नहीं है। इस संबंध में सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं है।