साभार: भास्कर समाचार
मुंबई ब्लास्ट के दोषियों में से एक की 10 साल की सजा बची हुई अवधि के लिए माफ करने से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इनकार कर दिया। दिसंबर 2002 और मार्च 2003 के दौरान हुए इन ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए
थे। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने साकिब अब्दुल हामिद नाचन की अपील खारिज कर दी। उसे विशेष अदालत ने आतंकवाद रोकथाम कानून (पोटा) के तहत दर्ज केस में 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने तक वह सात साल से अधिक समय जेल में काट चुका था। पोटा मामले में मार्च 2011 में जमानत पर रिहा साकिब को 4 अगस्त, 2012 को मकोका के तहत एक अन्य केस में गिरफ्तार किया गया था। मकोका केस में उसे पिछले साल अक्तूबर में जमानत मिली थी। इसकी सुनवाई अभी चल रही है। विशेष अदालत ने पोटा केस में साकिब को पिछले साल 6 अप्रैल को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। उसने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि पोटा केस की सुनवाई उस वक्त हो रही थी, जब वह मकोका केस में विचाराधीन कैदी था। इसलिए मकोका केस में जेल में बिताई अवधि पोटा केस की सजा से कम की जाए।