Sunday, September 24, 2017

छमाही से पहले स्कूलों में सवाल लेकर आए ‘दीनदयाल’

साभार: जागरण समाचार
हरियाणा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थी इन दिनों अखिल भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष रहे पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से जुड़े विविध सवाल-जवाबों का रट्टा मार रहे हैं। कारण कि
स्कूली शिक्षा की छमाही परीक्षा से महज चार दिन पहले उन्हें एक और इम्तिहान देना है। वह पंडित दीनदयाल के जीवन से जुड़ी प्रश्नोत्तरी पर आधारित होगा। इसके लिए पूरे प्रदेश में दो आइएएस सहित डायरेक्टर अथवा असिस्टेंट डायरेक्टर लेवल के कुल सरकारी नुमाइंदों की निगरानी रखी गई है। कतिपय कारणों से सरकार के इस कदम पर राजनीति के गलियारे में सवाल सुलगने लगे हैं। दरअसल, सरकारी स्कूलों में 29 सितंबर से छमाही परीक्षा होनी है। विद्यार्थियों के समक्ष संकट यह आ गया है कि कोर्स की किताबें पढ़ें या शिक्षा विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित प्रश्नोत्तरी? ऐसा इसलिए कि 25 सितंबर को उन्हें पंडित दीनदयाल पर कठिन क्विज इम्तिहान देना होगा। कठिन इस वजह से कि शिक्षा विभाग ने उन्हें सवालों का पहाड़ दे दिया है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के मनीष, राजेश, मोनिका, सरिता को यह नहीं सूझ रहा कि छमाही परीक्षा की तैयारी करें या फिर पंडित दीनदयाल के जीवन पर आधारित सवाल-जवाब पढ़ें। ये विद्यार्थी बताते हैं कि उनके लिए सवालों को हजम कर पाना मुश्किल साबित हो रहा है। अगर छमाही में कमतर अंक आए तो स्कूल व परिवार में किरकिरी होगी। बहरहाल, शिक्षा विभाग के इस कदम से राजनीतिक गलियारों में भी किरकिरी हो रही है।
जानबूझ कर 25 सितंबर को परीक्षा रखी गई हैं ताकि ताऊ देवीलाल जैसी शख्सियत की जयंती पर कार्यक्रम में जाने से लोगों को रोका जाए। - अभय सिंह चौटाला, नेता प्रतिपक्ष।
इसमें बुराई क्या है? देश की राजनीति में एक अलग विचारधारा लेकर आए थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय। पंडितजी के विचार महात्मा गांधी से मिलते थे। अंतोदय इसका प्रमाण है। जिस महापुरुष ने एकात्म मानववाद का विचार दिया कुछ लोग परिवारवाद बढ़ाने के लिए याद किये जाते हैं। - सुभाष बराला, प्रदेशाध्यक्ष भाजपा।