Wednesday, September 27, 2017

जीवन प्रबंधन: जीवन में बदलाव कभी कष्टदायक नहीं होता

साभार: भास्कर समाचार
एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
स्टोरी 1: देखते-देखते हमारे छोटे-से जीवनकाल में कितनी चीजें बदल गईं! हम जिस तरह अपने प्रियजनों के फोटो खींचते थे- कोडेक जैसी कंपनी ने कामकाज समेट लिया; हम जिस तरह अपनी लिखित सामग्री टाइप
करते थे- टाइपराइटर अब कोर्ट परिसरों के अलावा कहीं नहीं दिखते; जिस तरह हम अपने परिजनों को पैसे भेजते थे- मनी ऑर्डर तो कब के विदा हो चुके हैं और आखिर में जिस तरह हम परिवार को पत्र लिखा करते थे- आज कई जगहों पर पोस्टमैन और पत्रों के बारे में कोई जानता तक नहीं है। 
वर्ष 2018 आते ही हमारा डाकिया यानी पोस्टमैन कई हाई टैक डिवाइस से लैस हो जाएगा ताकि वह आपके घर पर ही वित्तीय लेन-देन संभव बना सके। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की योजना है कि वह मार्च 2018 तक देशभर में काम शुरू कर देगी। डेढ़ लाख से ज्यादा पोस्टमैन को ऐसे डिवाइस मुहैया कराने के िलए वह बड़ा कॉन्ट्रेक्ट करने वाली है। यह उपकरण एक किस्म का माइक्रो एटीएम है, जिसके साथ एक बायोमेट्रिक रीडर, एक प्रिंटर और एक डैबिट क्रेडिट कार्ड रीडर जुड़ा होगा। इसके पीछे की सारी टेक्नोलॉजिकल व्यवस्था ह्यूलेट पैकर्ड (एचपी) एंटरप्राइज करेगा, जो सिस्टम इंटीग्रेटर का काम भी करेगा। 
इंडिया पोस्ट एक एप पर काम कर रहा है, जो गैस, बिजली, मोबाइल, डीटीएच, स्कूल फीस, बस और ट्रेन के अनारक्षित टिकट जैसे दर्जनों सुविधाओं के बिल चुकाने में मददगार होगा। ये वे भुगतान है, जो नकदी पर अत्यधिक निर्भर है। इनमें फल-सब्जियों के लिए किए जाने वाले छोटे भुगतान भी आते हैं। यह डिपॉजिट पर नहीं सिर्फ भुगतान पर ध्यान केंद्रित करेगा। 35 करोड़ खाताधारकों के साथ इंडिया पोस्ट निजी कंपनियों की तुलना में मौके को बेहतर ढंग से भुनाना चाहता है। 
अगले पांच वर्षों में आठ करोड़ लोगों को यह सुविधा देने का सामान्य लक्ष्य इंडिया पोस्ट ने तय किया है। कस्टमर से मामूली शुल्क लेकर अथवा बिलिंग कंपनियों से मार्केट फी से मुनाफा कमाने की योजना है। इससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लोगों को बैंकिंग का अनुभव लेने में भी मदद मिलेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि 1.55 लाख पोस्ट ऑफिस के तीन लाख कर्मचारी बदलाव से गुजरने वाले हैं। 

स्टोरी 2: लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सरकारी दफ्तरों, स्कूलों, पुलों और सड़कों के निर्माण के लिए जाना जाता है लेकिन, इस बार कुछ अनपेक्षित करने का फैसला हुआ है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों तक बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए महाराष्ट्र पीडब्ल्यूडी ढाबों का निर्माण करेगा, जिनमें टॉयलेट की सुविधा भी होगी। ये ढाबे पर्यटन स्थलों के दायरे में विभाग की जमीन पर बनाए जाएंगे। इससे विभाग सिर्फ पर्यटकों को सेवा दे सकेगा बल्कि स्वच्छ भारत अभियान के हिस्से के रूप में टॉयलेट भी बनाएगा। योजना की प्रायोगिक स्तर पर शुरुआत पुणे जिले से होगी। मुख्य उद्‌देश्य तो इन जगहों पर स्वच्छ और नियमित रखरखाव वाले स्वच्छता गृह मुहैया कराना है, क्योंकि खुले यूरिनल और कचरे के ढेर बड़ा मुद्‌दा बन गए हैं। 
ये ढाबे ईको-फ्रेंडली होंगे और स्थानीय पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। कॉन्ट्रेक्टर की प्राथमिकता तो वहां टॉयलेट सुविधा उपलब्ध कराने की होगी। इसी के साथ फूड आइटम देने की सेवा भी चलाई जाएगी, क्योंकि अधिकतर पर्यटन स्थल पीडब्ल्यूडी के हाईवे से जुड़ी वन भूमि पर है। ढाबे से हुआ मुनाफा पीडब्ल्यूडी को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में मददगार होगा, जो फिलहाल राज्य सरकार की फंडिंग पर निर्भर है। 
फंडा यह है कि बदलावकभी कष्टदायक नहीं होता बल्कि बदलाव का विरोध तकलीफ देता है।