Wednesday, September 20, 2017

आपका आकलन आपके इरादे और काम से होता है

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
साभार: भास्कर समाचार
स्टोरी 1: 2015 में जब वे मुंबई के वरसोवा में रहने गए तो उन्होंने सागर किनारे बीच पर रोज घूमने जाने का
सपना देखा था, क्योंकि उन्हें बचपन के दिन याद गए जब वे उसी साफ-सुथरे निखालिस बीच पर घंटों खेलते रहते थे। लेकिन वे यह देख धक्क रह गए कि यह तो प्लास्टिक की कब्र बन गया है। वरसोवा जेटी पर मछुआरे नौकाएं पार्क करते थे, वहां पांच फीट ऊंचा कचरे का ढेर था। उनके पास कई विकल्प थे। 
  1. इस निंदनीय स्थिति का रोना रोए।
  2. स्थानीय अधिकारियों से शिकायत करें या निर्वाचित प्रतिनिधि से मिलकर उसके सामने अपनी शिकायत रखें।
  3. जनहित याचिका दायर करके बैठ जाएं।
  4. स्थिति अपने हाथ में लेकर उसका कोई समाधान खोजें।
  5. बीच के फोटो खींचकर ट्वीट करें या फेसबुक में पोस्ट करके लाइक्स प्राप्त करें।

चूंकि वे सोशल मीडिया पर नहीं थे तो उन्होंंने चौथा विकल्प चुना। 2.7 किलोमीटर लंबा बीच, जिस पर 50 लाख किलो कचरा पड़ा हो, उसे अकेले साफ करना कोई अासान काम नहीं है। हर हफ्ते शुक्रवार को वे दास्ताने पहनकर और ठेला लेकर जितना संभव होता कचरा वहां से हटाते। उन्हें पता था कि यह कोई एक बार में होने वाला काम नहीं है। 
दो हफ्ते उन्होंने शांति से यह काम किया। उन्हें पहला वॉलंटियर अपने पड़ोसी अस्सी वर्ष से ऊपर के हरबंश माथुर के रूप में मिला। अब तो वे नहीं रहे। कुछ स्वैच्छा से उनके साथ जुड़ गए तो कुछ ने आने में असमर्थता जताई। फिर वे मछुआरों की बस्ती में गए उनसे मदद मांगी। फिर से कुछ लोग शामिल हुए, कुछ ने अनदेखी कर दी। सनकी किस्म की टिप्पणियों और प्रयास की कामयाबी पर संदेहभरी बातों से भी उनका संकल्प कमजोर नहीं हुआ। आखिरकार मई 2017 में 85वें सप्ताह में बीच एकदम साफ दिखने लगा। एक वकील महोदय वहां सुबह की सैर के लिए आए तो रेत के उस स्वच्छ विस्तार के परे उन्हें चमचमाता समुद्र दिखाई दिया और उन्होंने ट्वीट कर दिया। अचानक पूरे मुंबई शहर का ध्यान इस ओर चला गया। हॉलीवुड एक्टर लियोनार्डो डिकैप्रियो से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी ओर आकर्षित हुए। उसके बाद तो हर शुक्रवार को मुंबईकर वहीं फोटो भेजकर वरसोवा बीच को साफ करने के लिए वॉलंटियर बनने का आह्वान करते। फिर तो यह स्थिति हो गई कि जिसका आप नाम लो वही वहां हाजिर- स्थानीय रहवासी संघ से लेकर एरिया लोकल मैनेजमेंट के सदस्यों और राजनीतिक नेताओं तक। पिछले हफ्ते जब क्लीनिंग फ्रायडे सौवंे सप्ताह में पहुंचा तो 3000 रहवासी वहां गए और हर किसी ने 85वें सप्ताह के फोटो ट्वीट किए और कोशिश की वे इससे होड़ लेकर बीच को बेहतर बनाएं। अफरोज शाह से मिलिए, जिनके आइडिया को केंद्र ने देशभर के 13 समुद्र तटों की सफाई के लिए अपनाने का फैसला किया है। 
स्टोरी 2: बॉलीवुड के संगीतकार ओपी नय्यर से प्रेरित हीरालाल सामंत राष्ट्रध्वज लगी फैंसी हैट पहनकर लखनऊ विधान भवन के प्रवेश द्वार पर 'जन-गण-मन' गाते हैं। वे उन्हें देख रहे तमाशबीनों पर कोई ध्यान नहीं देते। हावड़ा के नज़दीक छोटे से गांव के रहने वाले 49 वर्षीय हीरालाल हर सुबह ठीक 9:30 बजे आते हैं। तीन बार 'वंदे मातरम्' का नारा लगाने के बाद वे राष्ट्रवाद की भावना से भर जाते हैं और राष्ट्रगान शुरू करते हैं। उनकी इस असीम देशभक्ति का सीधा असर यह हुआ है कि शुरुआत में उन पर ताना कसने वाले युवा जब कहीं भी राष्ट्रीय गान बजाया जाता है तो सावधान में खड़े हो जाते हैं। यहां तक कि उस हाई सिक्योरिटी जोन की पुलिस भी सहयोग करती है। 
फंडा यह है कि आप जो भी करें छोटा या बड़ा काम, दुनिया आपका आकलन आपके इरादों और क्रियाकलापों से करती है।