साभार: भास्कर समाचार
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लगातार तीसरे साल संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया। करीब 22 मिनट के भाषण में उन्होंने 10 मिनट आतंकवाद पर बात की और 6 मिनट पाकिस्तान पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि भारत ने आईआईटी, आईआईएम बनाए। एम्स जैसे अस्पताल बनाए। स्पेस में इंटरनेशनल संस्थान बनाए। लेकिन पाकिस्तान ने क्या बनाया? इन्होंने लश्कर-ए-तैयबा बनाया, जैश-ए-मोहम्मद बनाया, हक्कानी नेटवर्क बनाया। हिज्बुल मुजाहिदीन बनाया। आतंकी ठिकाने और टेररिस्ट कैंप बनाए। हमने स्कॉलर्स, साइंटिस्ट, इंजीनियर्स पैदा किए। इन्होंने दहशतगर्द और आतंकवादी पैदा किए। डॉक्टर्स मरते हुए लोगों की जिंदगी बचाते हैं और जिहादी जिंदा लोगों को मार डालते हैं।
हम गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र पर भी निशाना साधते हुए इसमें बदलाव की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने संबोधन की शुरुआत नमस्कार से की, जबकि समापन सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयः, सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चि द्दुःख भाग्भवेत् से किया। सुषमा के संबोधन के दौरान दो बार पूरा हॉल तालियों से गूंजा और उन्हें स्टेंडिंग ओवेशन भी दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनके संबोधन को बेमिसाल कहा।
सुषमा के भाषण की बड़ी बातें:
- पाक पीएम पर हमला: पाक के वजीर-ए-आजम शाहिद खाकन अब्बासी ने भारत पर स्टेट स्पांर्स्ड टैररिज्म फैलाने का आरोप लगाया। जब वो इल्जाम लगा रहे थे तो लोग कह रहे थे कि लुक हू इज टॉकिंग...। एक साथ आजाद होने के बाद भी भारत की पहचान आज आईटी सुपरपावर के रूप में बनी, जबकि पाक की दहशतगर्द मुल्क की बनी है। क्यों: पाक पीएम ने कहा था कि भारत पाकिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है और सबसे ज्यादा आतंकवाद से त्रस्त हमारा देश है।
- मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया: जिन्ना ने दोस्ती की विरासत दी या नहीं दी ये तो इतिहास जानता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोस्ती का हाथ जरूर बढ़ाया। पाक ने कहानी बदरंग की। शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र के तहत दोनों देशों ने हर मामले को द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाना तय किया था। हम किसी तीसरे की दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे। क्यों: पाक पीएम ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह हो। यूएन विशेष दूत नियुक्त करे।
- द्विपक्षीय वार्ता पर: 9 दिसंबर 2015 को इस्लामाबाद में हुए हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में नए सिरे से कॉम्प्रिहेंसिव बायलैटरल डायलॉग शुरू करने की बात हुई थी, लेकिन वो सिलसिला आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके जवाबदेह पाकिस्तान है। क्यों: पाक पीएम ने आरोप लगाया था कि हम द्विपक्षीय वार्ता करना चाहते हैं, पर भारत नहीं कर रहा।
- आतंकवाद विकास पर: हैवानियत की हदें पार कर सैकड़ों मासूमों को मौत के घाट उतारने वाला हमें मानवता सिखा रहा है। पाकिस्तान जो पैसा आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहा है, उसे अवाम और मुल्क की तरक्की के लिए करे तो दुनिया का आतंकवाद से पीछा छूट जाएगा और उनके मुल्क का विकास हो सकेगा। क्यों: भारत तेजी से विकास कर रहा है, जबकि पाकिस्तान आतंकी पैदा करने में लगा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर 7.1 फीसदी रही, जबकि पाकिस्तान की 4.7 फीसदी।
- मानवाधिकार उल्लंघन पर: पाकिस्तान मानवाधिकार का पाठ पढ़ा रहा है। पाकिस्तान ने हैवानियत की हदें पार कर दी हैं। क्यों: पाक पीएम ने कहा था कि कश्मीरियों के संघर्ष को कुचलने के लिए भारत ने 7 लाख सैनिकों को तैनात कर दिया है। पैलेट गन से हजारों कश्मीरियों और उनके बच्चों को अंधा कर दिया गया।
- दूसरे देशों पर भी हमला: आतंकवाद पर आत्मावलोकन की जरूरत है। हम जब भी ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी करते हैं तो आतंकवाद से लड़ने की कसम खाते हैं, लेकिन ये निभाने वाली रसम बन गई है। संकल्प निभाने का वक्त आता है तो कुछ देश अपने फायदे को आगे रखते हैं। क्यों: चाहे संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन हो या फिर ब्रिक्स या जी-20 जैसे सम्मेलन। हर बार आतंकवाद पर बात होती है। प्रस्ताव भी पारित होते हैं, पर कोई ठोस पहल नहीं होती।
2015 में नरम और 2016 में सुषमा का गरम भाषण: सुषमा स्वराज 2 अक्टूबर 2015 और 26 सितंबर 2016 को भी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर चुकी हैं। दोनों ही बार उनका भाषण पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद हुआ। दो साल पहले सुषमा ने कहा था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (अब पूर्व) ने पाकिस्तान और भारत के बीच शांति पहल का चार सूत्रीय प्रस्ताव रखा, "मैं उसका उत्तर देते हुए कहना चाहूंगी कि हमें चार सूत्रों की जरूरत नहीं है, केवल एक सूत्र काफी है, आतंकवाद को छोड़िए और बैठकर बात कीजिए।'' पिछले साल भारत के पठानकोट और उरी में आतंकी हमलों के कारण माहौल गर्म था। पाकिस्तान के खिलाफ सुषमा का रुख भी आक्रामक हो गया। बोलीं, दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते हैं तो भी आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद। आतंकवादियों को पालने के ऐसे शौकीन देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र पर भी हमला: 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित सीसीआईटी पर आज तक यूएन सहमत नहीं हो पाया। अलग-अलग नजरिए से आतंकवाद को देखना बंद करें। अगर हम लड़ने का संकल्प करें तो उसे मानें और अमली जामा पहनाएं। सीसीआईटी को पारित करें। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार और पीस कीपिंग में भी सुधार करने की जरूरत है।
सुषमा ने कहा- पाकिस्तान के जिहादी संगठन सिर्फ भारत के लोगों को नहीं मारते, वे हमारे पड़ोसी अफगानिस्तान और बांग्लादेश के लोगों को भी मार रहे हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी ने तीन-तीन देशों को सफाई देने के लिए राइट टू रिप्लाई मांगा हो।
सुषमा ने मोदी सरकार की योजनाएं भी दुनिया के सामने रखी। कहा कि गरीबी दूर करने के लिए हमने जीरो बैलेंस में अमेरिका की आबादी के बराबर 30 करोड़ जनधन खाते खोले। हमारा लक्ष्य सौ करोड़ लोगों को इससे जोड़ना है। सुषमा ने स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप और स्टैंड अप इंडिया, नोटबंदी, बेटी बचाओ, जीएसटी का भी जिक्र किया।