साभार: जागरण समाचार
म्यांमार में हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र में चीन के बोल बदल गए हैं। रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों के खिलाफ म्यांमार की सैन्य कार्रवाई को उचित ठहराने वाले चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में म्यांमार की हिंसा पर
चिंता जताई है। सुरक्षा परिषद के साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने भी म्यांमार की हिंसा पर चिंता जताते हुए वहां पर जल्द शांति स्थापित होने की आवश्यकता जताई है। ¨हसाग्रस्त म्यांमार से अभी तक चार लाख रो¨हग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। गुतेरस ने कहा कि म्यांमार के रखाइन प्रांत की दशा अल्पसंख्यक मुक्त बनाने की मूलवासियों की इच्छा को प्रदर्शित करती है। अभी तक म्यांमार की एक तिहाई से ज्यादा अल्पसंख्यक आबादी देश छोड़कर भाग चुकी है। इसलिए म्यांमार सरकार अविलंब सेना की कार्रवाई रोके। ¨हसा को खत्म कराए। कानून का राज स्थापित करे। उन लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे जो ¨हसा के चलते देश छोड़कर गए हैं। गुतेरस ने बताया कि उन्होंने इस मामले में म्यांमार की नेता आंग सान सू ची से बात की है। म्यांमार सरकार के अनुसार 25 अगस्त को रो¨हग्या आतंकियों के सुनिश्चित हमले के खिलाफ जब सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की तो आतंकियों ने आमजनों को ढाल बनाया। इसी के चलते हालात बिगड़े। जबकि पीड़ित लोगों का कहना है कि सेना ने सीधे उनके खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें मारा-पीटा गया और घरों में आग लगा दी गई। पीड़ित सैन्य कार्रवाई में मारे गए लोगों की संख्या एक हजार से ज्यादा बता रहे हैं जबकि सरकार मारे गए आतंकियों की संख्या करीब चार सौ बता रही है। बुधवार को स्वीडन और ब्रिटेन के अनुरोध पर 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने म्यांमार के हालात पर विचार किया। परिषद ने हालात की निंदा करते हुए उसमें सुधार की मांग की। सदस्यों ने वहां पर सैन्य कार्रवाई को तत्काल बंद करके हालात को नियंत्रित करने की म्यांमार सरकार से मांग की। उल्लेखनीय है कि चीन ने बयान जारी करके म्यांमार में आतंकियों के खिलाफ सेना की कार्रवाई का समर्थन किया था। म्यांमार सरकार ने भी चीन के बदले रुख पर हैरानी जताई है।